राख के टोटे से अटके एमपी के फ्लाईओवर प्रोजेक्ट, महीनों बाद बनी सप्लाई की सहमति

0
16

इंदौर: मध्य प्रदेश में बिजली उत्पादन के लिए जितना जरूरी कोयला है, उतनी ही कीमती कोयले की राख भी है. जिसके बिना इन दिनों मध्य प्रदेश के कई फ्लाई ओवर प्रोजेक्ट के काम कई महीनों से रुके पड़े हैं. इस बीच जन आक्रोश के चलते राज्य सरकार की मांग पर केंद्र सरकार ने फिर राख की आपूर्ति पर सहमति दी है. जिसके बाद अब बारिश में जैसे-तैसे फ्लाई ओवर के काम फिर से शुरू किए जा सकेंगे.

कई कामों में आती है फ्लाई ऐश

दरअसल, कोयले के जलने से निकलने वाली फ्लाई ऐश (राख) अपने कुछ खास गुण और राख में मिश्रित तत्वों के कारण ईट बनाने से लेकर कई तरह के निर्माण कार्यों में उपयोग होती है. जिसका सबसे ज्यादा उपयोग फ्लाई ओवर निर्माण के दौरान फ्लाई ओवर का बेसमेंट तैयार करने के लिए होता है.

सिलिकॉन डाइऑक्साइड सहित कई तत्व होते हैं मौजूद

ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि थर्मल प्लांट से निकलने वाली भूरे रंग की पाउडरनुमा राख में सिलिकॉन डाइऑक्साइड, अल्युमिनियम ऑक्साइड और फेरिक ऑक्साइड के अलावा कैल्शियम ऑक्साइड जैसे तत्व होते हैं. जो कोयले के जलने के बाद अपशिष्ट के रूप में बाहर निकलते हैं. यह तमाम तत्व मिलकर सीमेंट कंक्रीट और मिट्टी के साथ मिलकर स्थिरीकरण का काम करते है.

इसीलिए फ्लाई ऐश को फ्लाई ओवर के बेसमेंट के उस स्थान पर डाला जाता है, जहां से फ्लाई ओवर शुरू हो रहा होता है. जिससे की फ्लाईओवर पर चढ़ते ही वाहनों के बोझ और गति से उत्पन्न होने वाले कंपन और झटकाें को बेसमेंट की मिट्टी और सीमेंट कंक्रीट एक ही स्थान पर स्थिर रह पाने के कारण सहन कर सकें.

यही वजह है कि देश के तमाम राज्यों में जहां भी फ्लाई ओवर बन रहे होते हैं, वहां भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय की सहमति पर मध्य प्रदेश के खंडवा में मौजूद श्री सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट से उत्पादन करने वाले संयंत्रों में उपलब्ध राख की आपूर्ति कर दी जाती है. लेकिन बीते दोनों खंडवा स्थित संयंत्र में निर्धारित उत्पादन और आपूर्ति के तहत जितनी राख फ्लाई ओवर प्रोजेक्ट्स के लिए भेजनी थी वह पहले ही भेजी जा चुकी थी.

राख सप्लाई न होने से रुके कई प्रोजेक्ट्स

इस बीच उज्जैन सिंहस्थ के मद्देनजर इंदौर, उज्जैन, हरदा और देवास में तैयार हो रहे राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए फ्लाई ऐश की जरूरत पड़ी तो पता चला सिंगाजी ताप विद्युत संयंत्र से उत्पादन के बाद राख अन्य राज्यों के फ्लाई ओवर के लिए भेज दी गई है. ऐसी स्थिति में इंदौर में तेजाजी नगर से बलवाड़ा, इंदौर से हरदा और इंदौर देवास बाईपास पर बन रहे अर्जुन बड़ोदा झालरिया और MR-10 जंक्शन के अलावा रालामंडल फ्लाई ओवर का काम अचानक रोकना पड़ा.

 

फ्लाई ओवर का काम रुका, ट्रैफिक जाम की समस्या

कई महीनों से फ्लाई ओवर के रुके हुए काम के कारण विभिन्न मार्गों पर लगातार ट्रैफिक जाम और भीषण धूल और परेशानी की स्थिति बन रही थी. जिससे नाराज लोगों ने पूरे मामले से जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट को अवगत कराया. इसके बाद शासन स्तर पर पता चला कि आखिरकार इतने महत्वपूर्ण फ्लाई ओवर का काम इतने महीने से क्यों बंद है.

 

फ्लाई ऐश की आपूर्ति को लेकर मंत्रियों की बैठक

नतीजतन इंदौर में निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में फ्लाई ऐश की आपूर्ति से मंत्री सिलावट ने ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर और अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज मंडलोई को अवगत कराते हुए बैठक आयोजित की. बैठक के दौरान पता चला कि यह समस्या श्री सिंगाजी थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट मूंदी द्वारा आपूर्ति रोके जाने के कारण उत्पन्न हुई थी. जिससे निर्माण कार्य बाधित हो रहे थे और भारी परिवहन व्यवस्था पर भी असर पड़ रहा था.

 

राज्य सरकार की मांग पर केंद्र ने दी सहमति

इसके बाद ऊर्जा मंत्री ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को उज्जैन में सिंहस्थ और अन्य जरूरी परियोजना के सदर्भ में
तत्काल फ्लाई ऐश की आपूर्ति करने की मांग की. जिसके बाद अब फिर से फ्लाई ऐश की आपूर्ति की सहमति बन गई है. जिसके तहत पावर प्लांट से अतिरिक्त फ्लाई ऐश की आपूर्ति मध्य प्रदेश की इन जरूरी परियोजनाओं के लिए हो सकेगी.

गौरतलब है, इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने भी इस मामले से वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया था. लेकिन उस समय मामले पर पर ध्यान ही नहीं दिया गया. इस संबंध में कलेक्टर आशीष सिंह ने भी वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र भेजकर फ्लाई ऐश की आपूर्ति सतत जारी रखने हेतु अनुरोध किया गया था.