जबलपुर । मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आयुष्मान भारत योजना के नाम पर फर्जीवाड़ा करने के आरोपित सेंट्रल इंडिया किडनी हास्पिटल, जबलपुर के संचालक डा. अश्विनी पाठक की जमानत अर्जी निरस्त कर दी। न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ ने अपने आदेश कहा कि यह घोटाला बड़ा है और मामले में अभी जांच भी जारी है इसलिए जमानत का लाभ नहीं दे सकते। डा. पाठक पर आरोप है कि सामान्य सर्दी-जुकाम, सिर-दर्द जैसी बीमारी को गंभीर बताकर डा. अश्विनी पाठक आयुष्मान योजना में मरीजों को भर्ती कर उनका इलाज कर सरकार से पैसा वसूल करते थे। डा. पाठक ने जमानत आवेदन पेश कर कहा कि वे अस्पताल में केवल कंसलटेंट के रूप में कार्य करते हैं और उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि प्रबंधन कैसे आयुष्मान योजना कार्ड का दुरुपयोग कर सरकार व जनधन की उगाही कर रहा है। वहीं शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता प्रमोद ठाकरे ने कोर्ट को बताया कि यह करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में 4845 मरीजों का इलाज उक्त योजना के तहत किया गया, इनमें से 1937 मरीज जबलपुर के थे। डा. पाठक ने स्वयं इन मरीजों को भर्ती किया था। शासन की ओर से बताया गया कि अस्पताल के दो स्टाफ सदस्यों ने गवाही दी है कि डा. पाठक गलत तरीके से पैसे की उगाही के लिए मरीजों की गलत जांच रिपोर्ट तैयार करते थे। आपत्तिकर्ता की ओर से अधिवक्ता संतोष आनंद ने जमानत अर्जी का विरोध किया।
हाई कोर्ट ने सेंट्रल इंडिया किडनी हास्पिटल के संचालक की जमानत अर्जी निरस्त की, कहा- घोटाला बड़ा है
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