नगर निगम की बैठक में हंगामा पटना में पार्षद आपस में उलझे मारपीट के साथ चली कुर्सियां

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राज्य के भोजपुर जिले में कांग्रेस पार्टी की बैठक में गुरुवार को हुए जबरदस्त हंगामें की खबर अभी लोग भूले भी नहीं थे कि कुछ-कुछ वैसी ही हंगामें की खबर राजधानी से आ गई है. जहां शुक्रवार को पटना नगर निगम के पार्षदों की मीटिंग में इतना जबरदस्त हंगामा हुआ कि सब देखते ही रह गए. आलम यह हुआ कि पार्षदों के बीच जमकर धक्का मुक्की होने लगी. जिससे कई पार्षदों के कपड़े भी फट गए हैं.

राजधानी के एक निजी होटल में आयोजित इस बैठक में मेयर सीता साहू भी मौजूद थीं, लेकिन उनकी कोशिशों के बावजूद हंगामा शांत नहीं हुआ. बताया जा रहा है कि बैठक शुरू होते ही मेयर द्वारा पेश किए गए एक एजेंडे पर तीखी बहस छिड़ गई थी. जिससे मेयर समर्थक और विरोधी पार्षदों के बीच पहले तीखी नोंकझोंक हुई, जो धीरे-धीरे हाथापाई में बदल गई. कुछ पार्षद इतने उत्तेजित हो गए कि उन्होंने एक-दूसरे के कपड़े तक फाड़ दिए. इस दौरान निगम आयुक्त अनिमेष पाराशर ने भी एजेंडे को नियमों के खिलाफ बताते हुए आपत्ति जताई, जिसने विवाद को और हवा दे दी है.

आखिर बैठक को क्यों स्थगित करना पड़ा?

हंगामे के दौरान मेयर सीता साहू ने पार्षदों को समझाने की कोशिश की, लेकिन उत्तेजित पार्षदों ने उनकी बात की अनसुनी कर दी. कुछ देर के लिए विरोधी पार्षद मेयर समर्थकों पर हावी रहे और स्थिति इतनी बिगड़ गई कि बैठक को स्थगित करना पड़ा. सूत्रों की माने तो मेयर द्वारा पेश किए गए एजेंडे में एक दागी कंपनी को ठेका देने की कोशिश का मुद्दा अहम था. इस पर विरोधी पार्षदों ने कड़ा ऐतराज जताया है.

हंगामे से नगर निगम में पारदर्शिता की कमी सामने आई

निगम आयुक्त ने भी इस प्रस्ताव को नियम-विरुद्ध बताया, जिसके बाद माहौल और गरमा गया है. मेयर के बेटे ने भी इस दौरान समर्थन में मोर्चा संभाला, लेकिन हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा था. इस घटना ने स्थानीय लोगों और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. कुछ लोगों का कहना है कि यह हंगामा नगर निगम की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है. वहीं, कुछ इसे राजनीतिक गुटबाजी का नतीजा मान रहे हैं.