Swachh Survekshan 2025: भोपाल ने मारी लंबी छलांग, बना देश का दूसरा सबसे स्वच्छ शहर

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भोपाल। राजधानी भोपाल को स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 में देश का दूसरा सबसे साफ शहर घोषित किया गया है। भोपाल ने इस बार तीन स्थान की छलांग लगाई है और 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की कैटेगरी में दूसरा स्थान हासिल किया है। यह पुरस्कार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में दिया। पुरस्कार लेने के लिए भोपाल की महापौर मालती राय और निगम आयुक्त हरेंद्र नारायण बुधवार को ही दिल्ली पहुंच गए थे।

भोपाल शहर खुशी का माहौल

देश का दूसरा सबसे साफ शहर बनने पर खुशी का माहौल रहा। नगर निगम के माता मंदिर स्थित दफ्तर में जश्न मनाया गया। निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने सफाई मित्रों को माला पहनाकर सम्मान किया और लड्डू खिलाकर बधाई दी। खुशी में सभी लोग ढोल की थाप पर झूमने लगे। अध्यक्ष सूर्यवंशी ने खुद भी ढोल बजाया।ईधर जोन-16 मीनल रेजिडेंसी में भी दूसरी रैंक मिलने की खुशी में कर्मचारियों ने जश्न मनाया। मिठाई बांटी गई, एक-दूसरे को बधाई दी गई और सभी जमकर थिरके।

भोपाल में कचरे का कलेक्शन और उसका निपटारा

भोपाल शहर में होने वाले कचरे का कलेक्शन और फिर उसका निपटारा करने का प्रबंध किया गया है। भोपाल में हर दिन 517 डीटीडीसी व्हीकल, 719 सीएनजी व्हीकल और 202 रोड स्वीपिंग व्हीकल तैनात हैं। जो पूरे दिन में शहर भर का गीला सूखा कचरा समेटकर उसे कचरा निष्पादन केन्द्र तक पहुंचाते है। कलेक्शन मैकेनिज्म के साथ समानांतर रूप से वेस्ट प्रोसेसिंग का इंतजाम किया गया है। इसके लिए भोपाल में हर दिन उत्सर्जित कचरे के प्रकारों और उसकी मात्रा का पहले आंकलन किया जाता है। 250 नए सीएनजी डोर टू डोर वाहन, 6 मैकेनाइज्ड रोड स्वीपिंग वाहन जैसे इंतजाम इसी साल से किए गए। जिससे डोर टू डोर कचरा कलेक्शन 100 प्रतिशत हो सके।

निगम की यह हैं उपलब्धी

1- रेंडरिंग प्लांटः आदमपुर छावनी में लगभग 6 करोड़ की लागत से रेंडरिंग प्लांट लगाया गया है। इसमें स्लाटर वेस्ट से मुर्गी व मछली के लिए दाना तैयार किया जा रहा है। यह प्लांट मध्यप्रदेश में अपने किस्म का पहला प्लांट है। पहली बार इस प्लांट में कुर्बानी का वेस्ट भेजा गया था, जो फिश और पोल्ट्री फूड के रूप में तैयार किया गया। 

2- ग्रीन वेस्ट प्लांटः अन्ना नगर गारबेज कलेक्शन प्लांट में ही नगर निगम ग्रीन वेस्ट प्लांट लगा रहा है। इस प्लांट में बायोमास ब्रिकेट बनेंगी, जो ईंधन के रूप में उपयोग होगीं। लगभग 8 करोड़ की लागत वाले इस प्लांट को पीपीपी मोड पर इंदौर की कंपनी को दिया गया है। यह प्लांट शुरू होने से निगम की ग्रीन वेस्ट रखने की समस्या खत्म हो जाएगी।

3- फूलों से बना रहे अगरबत्तीः दानापानी गार्बेज ट्रांसफर स्टेशन में फूलों से अगरबत्ती बनाई जा रही है। शहर के सभी मंदिरों के अलावा राजनैतिक कार्यक्रम, शादी-पार्टी से निकलने वाले फूलों को एकत्रित कर इस प्लांट भेजा जाता है। इसके लिए रोजाना चार मैजिक वाहन पूरे शहर से फूलों का कलेक्शन कर रहे हैं। इन्हें सुखाने के बाद प्लांट में अगरबत्ती बनाई जा रही हैं।

4- प्लास्टिक वेस्ट प्लांटः आदमपुर छावनी में पीपीपी मोड पर प्लास्टिक वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट लगाया गया है। इसकी क्षमता 5 टन प्रतिदिन है। लगभग 3 करोड़ 2 लाख के इस प्लांट का संचालन भोपाल की टेर्राफॉम इएसजी कंपनी कर रही है। लैण्डफिल साईट पर ही प्लांट में उत्पादन तैयार करने के अलावा प्लास्टिक वेस्ट को श्रेड कर गुजरात भेजा जा रहा है। यह प्लांट लगने से निगम को 3 टन प्लास्टिक वेस्ट से मुक्ति मिल गई।

5- सीएण्डडी वेस्ट प्लांटः घरों की टूट-फूट से निकले सीएण्डडी वेस्ट मटेरियल को पहले फैंक दिया जाता था। लेकिन अब इसका उपयोग होने लगा है। कोलार के थुआखेड़ा में इस कचरे से पेविंग ब्लाक और ईंट बनाई जा रही हैं। यह प्लांट भी पीपीपी मोड पर संचालित है।

6- थर्माकोल वेस्ट प्लांटः निगम के लिए थर्माकोल एक बड़ी समस्या थी। लेकिन अब इससे आर्टिफिशल ज्वेलरी, मोती, डेकोरेशन, सर्टिफिकेट के बॉर्डर, हैंगर, आर्टिफिशल दाना जैसे अन्य सामान बनाए जा रहे हैं। निगम ने दानापानी गारबेज ट्रांसफर स्टेशन के पास इसका प्लांट लगाया है, जो पीपीपी मोड पर संचालित है।

7- कोकोनट वेस्ट प्लांटः दानापानी गारबेज ट्रांसफर स्टेशन में ही कोकोनट वेस्ट प्लांट लगा है, जहां पूरे शहर से नारियल वेस्ट एकत्रित कर कोकोपिट बनाया जा रहा है। इसके अलावा अन्ना नगर प्लांट में पुराने कपड़ों को रिसायकल किया जा रहा है।

8-  कचरे को लेकर  कारगार कदम:   राजधानी में हर रोज औसत 800 टन कचरा निकलता है। इसमें 300 टन गीला और 500 टन सूखा कचरा रहता है। वहीं, मेडिकल वेस्ट भी निकलता है। गीले और सूखे कचरे को लेकर निगम ने काफी कारगार कदम आगे बढ़ाए। यही कारण है कि रैंकिंग में सुधार हुआ।