भारतीय संस्कृति में तुलसी को सिर्फ पौधा नहीं, बल्कि आस्था और अध्यात्म का प्रतीक माना जाता है. इसे मां लक्ष्मी का रूप कहा गया है और भगवान विष्णु की प्रिय माना जाता है. हर घर में तुलसी का पौधा लगाने की परंपरा है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि तुलसी के दो रूप होते हैं – रामा तुलसी और श्यामा तुलसी (Rama Tulsi and Shyama Tulsi). दोनों का रंग, प्रकृति और धार्मिक महत्व अलग होता है, मगर इनकी भूमिका श्रद्धा में बराबर की है.
रामा तुलसी का महत्व
रामा तुलसी को अधिकतर घरों में लगाया जाता है. इसका रंग हरा होता है और इसे भगवान श्रीराम से जोड़ा जाता है. यह तुलसी शांति, संयम और विनम्रता का प्रतीक मानी जाती है. उनके अनुसार, इसे घर में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और मानसिक शांति मिलती है. पूजा-पाठ में इसके पत्तों का प्रयोग आरती, प्रसाद और जल अर्पण में किया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार यह तुलसी सर्दी-खांसी, बुखार और पाचन से जुड़ी परेशानियों में भी लाभकारी होती है.
श्यामा तुलसी का महत्व
पुजारी शुभम तिवारी बताते हैं कि श्यामा तुलसी को कृष्णा तुलसी या काली तुलसी भी कहा जाता है. इसका रंग गहरा बैंगनी या जामुनी होता है और इसे भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह तुलसी उग्र स्वरूप की मानी जाती है और नकारात्मकता को दूर करती है. इसकी पूजा से आत्मबल बढ़ता है और भक्ति-भावना मजबूत होती है. विशेष रूप से श्रीकृष्ण और विष्णु भगवान को इसे अर्पित किया जाता है. यह तुलसी भी औषधीय गुणों से भरपूर होती है और कई रोगों में लाभ देती है.
घर में कौन सी तुलसी लगानी चाहिए?
मान्यताओं के अनुसार, घर में रामा तुलसी का पौधा लगाना सबसे शुभ माना गया है. इस पौधे को घर में लगाने से सुख-शांति बनी रहती है. वहीं, श्यामा तुलसी ज्यादातर जंगलों में पाई जाती हैं. जो औषधीय गुणों से भरपूर होती है और कई रोगों में लाभ देती है.
तुलसी का पौधा घर में क्यों लगाएं?
रामा और श्यामा दोनों ही तुलसी के पौधे सिर्फ पूजा के लिए नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और वातावरण के लिए भी फायदेमंद होते हैं. ये न केवल हवा को शुद्ध करते हैं, बल्कि तनाव और नकारात्मक सोच को भी कम करते हैं. यही कारण है कि घर में तुलसी का होना शुभ और जरूरी माना गया है.