बड़ी सफलता: कोलकाता के डॉक्टरों ने महिला के पैर से निकाला कैंसरयुक्त ट्यूमर –

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल के कलकत्ता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डॉक्टरों को सर्जरी में बड़ी सफलता मिली है. डॉक्टरों की टीम ने एक महिला के कैंसरयुक्त ट्यूमर को जटिल सर्जरी के बाद सफलतापूर्वक निकाला. अस्पताल के हड्डी रोग विभाग की देखरेख में की गई इस सर्जरी में एक किलोग्राम से ज्यादा वजन का ट्यूमर निकाला गया.

जानकारी के अनुसार, पिछले हफ्ते 52 वर्षीय रहीमा मलिक नाम की महिला को कलकत्ता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनके पैर के पिछले हिस्से में सूजन थी. वहां ट्यूमर बन गया था. पिछले मंगलवार को सर्जरी करके ट्यूमर को निकाला गया.

कलकत्ता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉ. सैकत साहू ने बताया, "यह सर्जरी बहुत जोखिम भरी है. अगर जरा सी भी चूक हुई तो मरीज की तुरंत मौत हो सकती है. इस ट्यूमर को निकालने में मरीज के अंग खराब होने का भी खतरा रहता है."

हालांकि, इस मामले में सब कुछ सही रहा. जहां इस तरह की सर्जरी में चार से पांच घंटे लगते हैं, रहीमा मलिक के मामले में सिर्फ एक घंटा लगा. इस बारे में डॉ. सैकत साहू ने बताया, "उनके मामले में, ट्यूमर थोड़ा बाईं ओर था. यह हमारे लिए थोड़ी राहत की बात थी. वरना, अगर ट्यूमर अंदर होता, तो सीटीवीएस, प्लास्टिक सर्जरी विभाग की जरूरत पड़ती. लेकिन उनके मामले में इसकी जरूरत नहीं पड़ी."

रहीमा मलिक के परिवार से बात करने पर पता चला कि शुरुआत में उनके पैर के ऊपरी हिस्से के पिछले हिस्से में धीरे-धीरे सूजन आ रही थी. शुरुआत में तो उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने अपने घरवालों को भी नहीं बताया. लेकिन सूजन बढ़ती ही गई. दर्द शुरू हो गया. रहीमा धीरे-धीरे चलने-फिरने में असमर्थ हो गईं.

जब घरवालों को उनकी बीमारी के बारे में पता चला तो उन्हें डॉक्टर को दिखाया गया. डॉक्टर ने हड्डी रोग का इलाज शुरू किया, लेकिन उस इलाज से कोई फायदा नहीं हुआ. उल्टा, दर्द बढ़ता ही गया. इसके बाद, घरवाले रहीमा को कलकत्ता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ले गए, जहां डॉ. सैकत साहू की देखरेख में इलाज शुरू हुआ.

डॉ. साहू ने कहा, "जब मैंने उसे देखा, तो मुझे लगा कि उसे ट्यूमर है. इस ट्यूमर को सॉफ्ट टिशू सार्कोमा कहते हैं. यह एक प्रकार का कैंसर है. इसे प्लेमॉर्फिक सार्कोमा कहते हैं. एक्स-रे में कुछ भी दिखाई नहीं देता. फिर हमें एमआरआई करवाना पड़ा. हम देख सकते हैं कि वह हिस्सा तकिये की तरह सूज गया है. इसके साथ ही, नई रक्त वाहिकाएं भी बन गई हैं."

डॉक्टर का कहना है कि हर मरीज के इलाज का तरीका अलग होता है. वह कहते हैं, "जब ऐसा कोई मामला आता है, तो हमें पहले उसका अध्ययन करना पड़ता है. क्योंकि हर व्यक्ति को इस तरह के ट्यूमर का अलग इलाज मिलता है, इसलिए डॉक्टरों ने अध्ययन के बाद रहीमा का ऑपरेशन करने का फैसला किया. सफल ऑपरेशन हुआ. अब रहीमा स्वस्थ हैं. उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई है.

उनके बेटे का कहना है, "सर्जरी के बाद मेरी मां चलने-फिरने में सक्षम हो गई. अब वह समस्या दूर हो गई है."