खुशखबरी! मानसून की मेहरबानी से लबालब हुए CG के जलाशय, जल संकट से मिली राहत

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जुलाई माह की बारिश किसानों के साथ ही साथ जिले के जलाशयों के लिए भी संजीवनी साबित हुई है। जुलाई माह की बारिश में जिले के सूखे पड़े जलाशयों में पानी भर गया है। जितनी बारिश इस वर्ष जुलाई माह में हुई है वो अभी तक खेती किसानी से लेकर जलाशयों में जलभराव तक के लिए बेहतर रही है, जिसकी वजह से जिले के जलाशयों की पूरी तस्वीर ही बदल गई है।

ग्रामीण इलाके के लोगों के लिए भी लाभकारी साबित

स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अप्रैल मई माह तक जहां जिले के गिने चुने जलाशयों में ही जल भराव था, वहीं जुलाई माह के अंतिम सप्ताह तक जिले के 6 जलाशयों में 100 फीसदी जल भराव हो चुका है। जलाशयों में भरा पानी जिले के किसानों के साथ ही साथ आगामी ग्रीष्म ऋतु में भी भूजल स्तर के साथ ही साथ ग्रामीण इलाके के लोगों के लिए भी लाभकारी साबित होगा।

विदित हो कि जुलाई माह की बारिश होते ही जलाशयों की स्थिति पूरी तरह से बदली हुई नजर आ रही है। इस वर्ष भीषण गर्मी की वजह से अप्रैल मई माह में जलाशयों की स्थिति सर्वाधिक खराब रही है और बहुतेरे जलाशयों में तल तक पानी पहुंच गया था जिसकी वजह से संबंधित ग्रामों के ग्रामीणों में चिंता व्याप्त थी। जलाशयों में भरा पानी धान की फसल के साथ ही साथ ग्रीष्मकाल में ग्रामीणों की निस्तारी का भी मुख्य साधन होता है।

वहीं जलाशयों के भरे होने की स्थिति में भूजल स्तर में भी सुधार रहता है। जलाशयों की स्थिति को देखकर ग्रामीणों में चिंता व्याप्त थी परंतु जुलाई माह के प्रारंभ से ही जिले में जोरदार बारिश हो रही है, जिसकी वजह से सूख रहे जलाशयों की स्थिति ही बदल गई है। जुलाई माह में जोरदार बारिश होने से जिले के जलाशयों में पर्याप्त पानी भर गया है जिससे किसानों के साथ ही साथ संबंधित ग्रामों के ग्रामीणजनों में भी हर्ष व्याप्त है।

जलाशय में 100 प्रतिशत जल भराव

कितने जलाशयों में पानी भरा: जिले में हो रही बारिश से अब तक मध्यम परियोजना अंतर्गत 6 जलाशयों में शत प्रतिशत जल भराव पूर्ण हो गया है। वहीं 13 जलाशयों में 50 प्रतिशत से अधिक जल भराव हुआ है। जल संसाधन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार बैजनाथ जलाशय, बलौदा जलाशय, खैरा दतान जलाशय, लवन जलाशय, बालसमुंद जलाशय एवं कुकदा जलाशय में 100 प्रतिशत जल भराव है।

साबर जलाशय, कुकुरदी जलाशय, कारी जलाशय, हरिनभट्ट्ठा जलाशय, पत्थरचुंवा जलाशय, खैरी जलाशय, खहरिया जलाशय, चरौदा जलाशय, टीथीडीह जलाशय, हिरमी जलाशय, बिटकुली जलाशय, देवरीडीह जलाशय एवं झिरिया जलाशय में 50 प्रतिशत से अधिक जल भराव है। बलार जलाशय 30 प्रतिशत, टुण्डरा जलाशय 0 प्रतिशत, कसडोल जलाशय 36, हटौद जलाशय 13, बहनी जलाशय 48, गोलाझर जलाशय 16, अमरूवा जलाशय 31 एवं मखुरहा जलाशय 10 प्रतिशत, बाछेरकापुर जलाशय 46 प्रतिशत, तेलासी जलाशय 27 प्रतिशत, बोईरडीह जलाशय 48 प्रतिशत, भरतपुर जलाशय 21 प्रतिशत, तिल्दा बांधा जलाशय 30 प्रतिशत, करही जलाशय 47 प्रतिशत, दुलदुला 37 प्रतिशत, कामता जलाशय 49 प्रतिशत एवं घुघवा जलाशय में 40 प्रतिशत जल भराव हो गया है।

ग्रीष्मकाल की चिंता कम हुई: ग्रामीण इलाकों के अधिकांश जलाशय ग्रामीण लोगों की निस्तारी के साथ ही साथ खरीफ फसल के लिए किसानों को पानी दिए जाने, भूजल स्तर को बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। परंतु जलाशयों का सूखना या जलाशयों में पानी का बेहद कम भराव आगामी ग्रीष्मकाल के लिए खतरे की घंटी होते हैं।

जुलाई माह में हुई जोरदार बारिश से किसानों को वर्तमान खरीफ धान में पानी को लेकर पूरी चिंता समाप्त हो चुकी है। वहीं मौसम को देखते हुए आगामी दिनों में भी पर्याप्त बारिश की संभावना है। जलाशयों के भरे होने पर आगामी ग्रीष्मकाल में भी लोगों को निस्तारी के साथ ही साथ भूजल स्तर में कमीए कृषि कार्यों में पानी नहीं मिलने की समस्या दूर होती नजर आ रही है।

जिले में अब तक 536.5 मिमी बारिश

जिले में चालू मानसून के दौरान 1 जून से 28 जुलाई 2025 तक 536.5 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई है। जिले में सर्वाधिक वर्षा तहसील सुहेला में 694 मिमी एवं सबसे कम वर्षा कसडोल तहसील में 423.1 मिलीमीटर हुई है। भू-अभिलेख कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार तहसील टुण्डरा 605.1 मिमी, पलारी में 592.6 मिमी, सोनाखान 531.60 मिमी, भाटापारा 526.7 मिमी, बलौदा बाजार 490.2 मिमी, लवन 487.2 मिमी एवं सिमगा 477.5 मिलीमीटऱ वर्षा दर्ज की गई है। इस तरह कुल 4828.3 मिमी अभी तक दर्ज की गई है, जिसकी औसत वर्षा 536.5 मिमी है। 28 जुलाई 2025 को 2 मिलीमीटर दर्ज की गई है जिसकी औसत वर्षा 0.2 मिमी है।