व्यापार : टैरिफ अनिश्चितताओं के बीच अमेरिकी फेड रिजर्व को ब्याज दरों में कटौती में सावधानी बरतनी चाहिए। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया कि एक रिपोर्ट के अनुसार नए टैरिफ अगले साल महंगाई को बढ़ा सकते हैं। इससे अगने तीन महीनों के लिए नीतिगत विकल्प विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाएंगे।
2025 में 60 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद
इसमें कहा गया कि बाजार 2025 के दौरान फेड दर में 60 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। इसके बाद 2026 में अतिरिक्त 70 आधर अंकों की कटौती होगी। फेड को अपनी नीतिगत फैसलों का समय सावधानीपूर्वक तय करना चाहिए।
निवेशकों के तर्क दोतरफा
निवेशकों का मानना है कि टैरिफ से प्रेरित कोई भी मूल्य वृद्धि अस्थायी होगी। उनके तर्क दोतरफा हैं, पहला 2025 के अंत तक उच्च आयात लागत के लिए एकमुश्त समायोजन पूरा होने के बाद महंगाई में उछाल कम होने की उम्मीद है। दूसरा धीमी आर्थिक वृद्धि और बढ़ते मंदी को जोखिम मांग को कम करेंगे। इससे महंगाई नियंत्रण में रहेगी। इसमें कहा गया कि 2026 तक आपूर्ति श्रृंखलाओं के गैर टैरिफ स्रोतों की ओर समायोजित होने की उम्मीद है। इससे मूल्य दबाव में और कमी आएगी।
कमजोर अर्थव्यवस्था फेड के दरों पर डालेगी असर
इसके परिणामस्वरूप बाजार अल्पकालिक मुद्रास्फीति की वृद्धि से आगे देख रहे हैं। उनका अनुमान है कि कमजोर होती अर्थव्यवस्था फेड को दरों में और अधिक आक्रामक तरीके से कमी लाने की गुंजाइश पैदा करेगी। हालांकि रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि स्थिति अभी भी स्थिर है और इस पर कड़ी निगरानी रखने की आवश्यकता है।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था का रहा मिला-जुला प्रदर्शन
रिपोर्ट के अनुसार 2025 की पहली छमाही में अमेरिकी अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन मिला-जुला रहा है। वास्तविक आर्थिक उत्पादन और रोजगार जैसे हार्ड आंकड़े, सर्वेक्षणों की आंकड़ों के तुलना में ज्यादा सकारात्मक रहे हैं। हाल के महीनों में यह विचलन एक प्रमुख प्रवृत्ति रही है। आने वाले महीनों में टैरिफ का प्रभाव बाजार पर दिखाई देने लगेगा।