विधानसभा सत्र से पहले क्यों गरमाई राजस्थान की राजनीति? जानें अंदर की बातें

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जयपुर: राजस्थान की राजनीति में इस समय हलचल चरम पर है। आगामी 1 सितंबर से शुरू होने वाले 16वें विधानसभा सत्र के चौथे चरण को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने सत्र की अधिसूचना जारी कर दी है। वहीं, सत्र से पहले संभावित मंत्रीमंडल फेरबदल की चर्चाओं ने माहौल को और गरमा दिया है। इसी बीच सोमवार को अपनी 'चमत्कारी पर्ची' से चर्चा में आए बागेश्वर सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सीएम भजनलाल शर्मा से मुलाकात की है।

राजस्थान में मंत्रीमंडल फेरबदल की अटकलें
बीते हफ्ते सोशल मीडिया पर मंत्रीमंडल विस्तार को लेकर एक व्हाट्सएप चैट वायरल हुई। इसमें संभावित नए मंत्रियों के नामों के कयास लगाए गए, जिससे राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया। चर्चा है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सत्र से पहले बड़ा बदलाव कर सकते हैं।

धीरेंद्र शास्त्री से मुलाकात के सियासी मायने
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से बीती शाम जयपुर स्थित सीएम आवास पर मुलाकात की। इसे आधिकारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया गया, लेकिन राजनीतिक हलकों में इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। धीरेंद्र शास्त्री अपने भक्तों की समस्याओं की 'पर्ची' निकालने के लिए पूरे देश में मशहूर हैं, और इसी वजह से यह मुलाकात सियासी चर्चाओं को हवा दे रही है।

कांग्रेस का ‘पर्ची सरकार’ पर हमला
कांग्रेस लंबे समय से भजनलाल सरकार को ‘पर्ची सरकार’ कहकर घेरती रही है। दरअसल, भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के समय भाजपा के आंतरिक समीकरणों के बीच पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की मौजूदगी में राजनाथ सिंह ने उनके नाम की पर्ची सौंपी थी। तब से विपक्ष इस घटना को लेकर भाजपा पर लगातार निशाना साधता रहा है।

अब धीरेंद्र शास्त्री, जिन्हें ‘पर्ची बाबा’ के नाम से भी जाना जाता है, की सीएम से मुलाकात ने कांग्रेस को नया राजनीतिक मुद्दा दे दिया है। एक दिग्गज कांग्रेसी नेता ने इस पर तंज कसा है। वहीं विपक्ष इसे भाजपा की अंदरूनी राजनीति और सिफारिशी संस्कृति से जोड़कर देख रहा है, जबकि भाजपा इसे केवल धार्मिक और शिष्टाचार भेंट बताने में लगी है।

सबकी नजरें विधानसभा सत्र पर
फिलहाल सबकी नजरें 1 सितंबर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र और संभावित मंत्रीमंडल फेरबदल पर टिकी हैं। आने वाले दिनों में यह घटनाक्रम राजस्थान की राजनीति की दिशा तय कर सकता है।