भोपाल : लोकायुक्त न्यायमूर्ति सत्येन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि डिजिटल स्पेस में मानव अधिकार संरक्षण एक बड़ी चुनौती है। साइबर स्पेस की व्यापकता एवं पहचान छुपाने की तकनीक ने डिजिटल स्पेस में मानवाधिकारों के उल्लंघन को निवारित करने और उन्हें दण्डित करने को अत्यंत दुष्कर बना दिया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मानव अधिकारों को साइबर सुरक्षा के माध्यम से संरक्षित कर डिजिटल क्रांति का लाभ समाज को व्यापक रूप से उपलब्ध कराने की चुनौती हमारे समक्ष है। सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा इस चुनौती को स्वीकार कर "साइबर सुरक्षा एवं मानव अधिकार'' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन कर प्रशंसनीय कार्य किया गया है। सिंह प्रशासन अकादमी भोपाल में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के 31वें स्थापना दिवस समारोह में "साइबर सुरक्षा एवं मानव अधिकार'' की संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
मानव अधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष राजीव कुमार टण्डन ने कहा कि साइबर सुरक्षा व मानव अधिकार एक प्रासंगिक विषय है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में मानव अधिकार आयोग की स्थापना 13 सितम्बर, 1995 को की गयी थी। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा विगत 30 वर्षों में की गयी अनुशंसाओं के अनुरूप शासन एवं संबंधित विभागों की कार्य-प्रणाली में आवश्यक परिवर्तन कर सुशासन की दिशा में प्रयास किये गये हैं। उन्होंने कहा कि आयोग में विगत 5 वर्षों में 45 हजार 900 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 44 हजार 551 शिकायतों का निपटारा किया गया। टण्डन ने कहा कि आयोग द्वारा नवाचार करते हुए "आयोग आपके द्वार" कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसमें जिला स्तर पर मानव अधिकारों से संबंधित शिकायतों का जन-सुनवाई के माध्यम से स्थानीय स्तर पर निराकरण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अभी तक प्रदेश के 34 जिलों में जन-सुनवाई की गयी है।
"साइबर सिक्योरिटी और मानव अधिकार इंटरसेक्शन'' विषय पर हुआ मंथन
"साइबर सिक्योरिटी और मानव अधिकार इंटरसेक्शन'' के मंथन में विशेषज्ञों ने डिजिटल युग में बढ़ती चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज मानव अधिकार केवल भौतिक जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि ऑनलाइन दुनिया में भी उनकी सुरक्षा उतनी ही आवश्यक है। साइबर अपराध, डेटा चोरी, फेक न्यूज और ऑनलाइन उत्पीड़न जैसी समस्याएँ नागरिकों के निजता के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सुरक्षा से सीधे जुड़ी हुई है। विषय-विशेषज्ञों ने बताया कि डिजिटल प्लेटफार्म पर सुरक्षा और स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि डिजिटल साक्षरता और जिम्मेदार उपयोग के लिये जागरूक होना जरूरी है। विशेषज्ञों ने यह संदेश दिया कि डिजिटल युग में मानव अधिकार और साइबर सिक्योरिटी एक-दूसरे के पूरक हैं, विरोधी नहीं।
कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली सुएन.एस. नप्पिनाई ने कहा कि साइबर डोमेन में सब एक-दूसरे की नजर में हैं। उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा की आवश्यकता है, डरने की नहीं। कार्यकारी निदेशक, पीडब्ल्यूसी इण्डिया, हैदराबाद कृष्ण शास्त्री पेड्ंयाला ने कहा कि डी-कॉमर्स के समय में मानव अधिकारों का संरक्षण आवश्यक है। निदेशक राजीव गाँधी लॉ सेंटर एन.एल.आई.ई.यू., भोपाल प्रो. अतुल पाण्डे ने कहा कि प्रगति के 5वें सौपान में डिजिटल सुरक्षा के उपाय जरूरी हैं। सभी विशेषज्ञों ने "साइबर सुरक्षा एवं मानव अधिकार'' विषय पर पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से उद्बोधन दिया और साइबर सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर जानकारी साझा की।
कार्यक्रम में मानव अधिकार आयोग द्वारा "साइबर सुरक्षा एवं मानव अधिकार'' विषय पर आधारित स्मारिका का विमोचन हुआ और आयोग की नवीन वेबसाइट www.hrc.mp.gov.in का लोकार्पण किया गया। मानव अधिकार आयोग के प्रमुख सचिव मुकेश चंद गुप्ता ने स्वागत भाषण दिया। आयोग के उप सचिव डी.एस. परमार ने आभार प्रदर्शन किया। मानव अधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष टण्डन ने सभी अतिथियों को स्मृति-चिन्ह भेंट किये।
कार्यक्रम में आयोग के पूर्व पदाधिकारी, विभाग/संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी, सेवानिवृत्त न्यायाधीश, वरिष्ठ प्रशासनिक, पुलिस अधिकारी, विधि संकाय के प्राध्यापक, विधि संकाय के विद्यार्थी और आयोग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।