उज्जैन: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन मंगलवार को भक्ति और आस्था के रंग में रंगी दिखाई दी. माता उमा की सवारी जब शाही ठाठ-बाट के साथ निकली तो माहौल जयकारों से गूंज उठा. महाकाल मंदिर के मुख्य द्वार पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और भक्तों ने फूलों की वर्षा कर माता का भव्य स्वागत किया.
रजत पालकी में सवार माता उमा
परम्परानुसार अश्विन शुक्ल द्वितीया चन्द्र दर्शन के दिन (मंगलवार) शाम भगवान श्री महाकालेश्वर की तरह माता उमा भी नगर भ्रमण पर भक्तों को दर्शन लाभ देने निकली. माता उमा साल में एक बार रजत पालकी में सवार होकर राजसी ठाठ-बाट से निकलती हैं. माता की सवारी निकलने के पहले मंदिर के सभा मण्डप में पूजन-अर्चन हुआ. माता को मंदिर के मुख्य द्वार पर मध्य प्रदेश सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने सलामी दी.
राजसी सवारी पर भक्तों ने की फूलों की वर्षा
सवारी के साथ घुड़सवार, पुलिस बल, फूलों की वर्षा करते भक्त, नाचते गाते अलग अलग भेष धारण कर आए भक्त, पालकी उठाते कहार देखते ही बनते थे. इसके अलावा सेवा करते पुजारी पुरोहित, व्यवस्था संभालते पुलिस प्रशासन एवं मंदिर समिति के अधिकारी कर्मचारी, शंख नाद की गूंज, तोप की आवाज, रंगोली बनाते कलाकार ने सवारी की शोभा को और बढ़ाया.
हर साल मनाया जाता है उमा सांझी महोत्सव
महाकाल मंदिर के महेश पुजारी ने बताया, ''श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रत्येक वर्ष उमा सांझी महोत्सव मनाया जाता है. ये पर्व इस वर्ष 17 सितम्बर से 21 सितम्बर 2025 तक श्री महाकाल मंदिर में मनाया गया था. महोत्सव में 5 दिनों तक मंदिर में उमा माता का विशेष पूजन हुआ, संजा उत्सव व अन्य कई सांस्कृतिक आयोजन मंदिर में हुए. उत्सव के समापन के बाद प्रत्येक वर्ष अनुसार, माता उमा नगर भ्रमण पर उमा सांझी महोत्सव के समापन के अगले दिन भक्तों को दर्शन लाभ देने पहुंची. मंगलवार को धर्म नगरी में आनंद उत्साह का माहौल रहा.''
सवारी में और क्या रहा खास?
सवारी मार्ग में पालकी में विराजित रही उमा माता जी की रजत प्रतिमा, डोल रथ पर गरुड़ और गरुड़ के ऊपर विराजमान माताजी की पीतल प्रतिमा. साथ ही भगवान श्री महेश के दर्शनों का श्रद्धालुओं ने लाभ लिया. मार्ग के दोनों ओर खड़े श्रद्धालु दर्शन हेतु उमड़े रहे. सवारी श्री महाकालेश्वर मंदिर से शुरू हुई जो श्री महाकाल चौराहा, महाकाल घाटी, तोपखाना, दौलतगंज चौराहा, नईसड़क, कंठाल, सराफा, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कार्तिक चौक, मोढ़ की धर्मशाला, रामानुज कोट होते हुए क्षिप्रा तट पर पहुंची. यहां जवारे एवं संजा विसर्जन तथा पूजन सम्पन्न हुआ. इसके बाद सवारी कहारवाड़ी, बक्षी बाजार एवं महाकाल रोड होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर लौटी और सम्पन्न हुई.