बाड़मेर-सांचौर बेसिन: भारत का सबसे बड़ा तेल उत्पादक इलाका, बना अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ

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बाड़मेर। थार के रेगिस्तान में तेल ने देवी शक्ति का रूप ले लिया है। बाड़मेर-सांचौर बेसिन में हुई 38 में से 36 तेल खोजों को देवी के नाम दिए गए हैं। इनमें ‘मंगला’ विश्व की सबसे बड़ी तेल खोज के रूप में जानी जाती है, जिसने 2003 में इस मरुस्थलीय क्षेत्र को देश के सबसे बड़े तेल उत्पादक इलाकों में शामिल कर दिया।

तेल उत्पादन से राज्य और केंद्र सरकार को हर साल भारी राजस्व मिल रहा है। राज्य सरकार को प्रतिवर्ष करीब 4,000 करोड़ रुपये और केंद्र सरकार को करीब 10,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। 2009 से अब तक इन खोजों के जरिये देश को करीब 15 लाख करोड़ रुपये (15 खरब) का राजस्व मिल चुका है।

देवी उपासना की धरती पर देवी नाम से तेल क्षेत्र

2003 में पहली खोज ‘मंगला’ नाम से हुई, जिसके बाद भाग्यम, ऐश्वर्या, दुर्गा जैसे नामों से एक के बाद एक खोजें होती गईं। कुल 38 में से 36 खोजों के नाम देवी के नाम पर रखे गए। इसकी वजह यह भी है कि यह इलाका देवी उपासना की धरती माना जाता है और यहां देवी नाम से ओरण-गोचर (संरक्षित चरागाह भूमि) पहले से मौजूद हैं।

अब तक बाड़मेर से 70 करोड़ से अधिक बैरल कच्चे तेल का उत्पादन हो चुका है। तेल उत्पादन से राज्य सरकार को प्रतिदिन 10 करोड़ रुपये और केंद्र सरकार को 30 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त हो रहा है।

महिला सशक्तिकरण में भी रचा इतिहास

तेल कंपनी ने इस परियोजना से महिला सशक्तिकरण को भी जोड़ा है। तेल उत्पादन से जुड़ी नौकरियों में 33 प्रतिशत पदों पर महिलाओं की नियुक्ति की गई है, जो इस क्षेत्र में एक बड़ी मिसाल मानी जा रही है।

संस्कृति और शक्ति से जुड़ा नामकरण

तेल क्षेत्रों के नाम देवी शक्ति और थार की सांस्कृतिक पहचान से प्रेरित हैं। राजस्थान में शक्ति का मतलब देवी से जुड़ा है। इसी शक्ति और ऊर्जा (पावर) के प्रतीक के रूप में खोजों को देवी नाम दिए गए।

6111 वर्ग किमी में नई खोजें जारी

वर्ष 2022 में करीब 350 अरब रुपये के निवेश के साथ नए तेल कुओं की खोज शुरू की गई है। सांचौर के पास मिली एक नई खोज को ‘दुर्गा’ नाम दिया गया है, हालांकि वह अब तक की सबसे बड़ी खोजों जैसी नहीं है। कंपनी को उम्मीद है कि भविष्य में और बड़ी खोजें सामने आएंगी।

ओरण-गोचर की जमीन नहीं छुई

तेल कंपनियों ने ड्रिलिंग के दौरान देवी के नाम से संरक्षित ओरण-गोचर भूमि को नहीं छुआ। नियमानुसार यहां ड्रिलिंग नहीं हो सकती थी, और कंपनी ने इसके लिए कोई दबाव भी नहीं बनाया। दिलचस्प बात यह रही कि बड़े तेल भंडार इन्हीं संरक्षित इलाकों के बाहर ही मिल गए।