लोकसभा में शशि थरूर को फिर दी गई बड़ी जिम्मेदारी, संसदीय समितियों का हुआ पुनर्गठन

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नई दिल्‍ली । लोकसभा (Lok Sabha) ने बुधवार को कई संसदीय स्थायी समितियों (Parliamentary standing committees) का पुनर्गठन किया और दो प्रवर समितियों, जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक और दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक, का गठन किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) रक्षा संबंधी समिति के सदस्य हैं, प्रियंका गांधी वाड्रा गृह मामलों की समिति की सदस्य हैं, पी. चिदंबरम वित्त संबंधी समिति के सदस्य हैं, जयराम रमेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन संबंधी समिति के सदस्य हैं।

लोकसभा ने कई समितियों के अध्यक्षों की पुनर्नियुक्ति की है। इसमें कांग्रेस नेता शशि थरूर को फिर से बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। थरूर विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष बने रहेंगे। द्रमुक की कनिमोझी करुणानिधि को उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण समिति का भी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

थरूर और कनिमोझी के अलावा, विभिन्न समितियों के अन्य अध्यक्षों में सामाजिक न्याय और अधिकारिता के लिए पीसी मोहन, कोयला, खान और इस्पात के लिए अनुराग ठाकुर, ग्रामीण विकास और पंचायती राज के लिए सप्तगिरि शंकर; रसायन और उर्वरक के लिए कीर्ति आजाद झा, जल संसाधन के लिए राजीव प्रताप रूडी, आवास और शहरी मामलों के लिए मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी; रेलवे के लिए सीएम रमेश; पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के लिए सुनील तटकरे; श्रम, कपड़ा और कौशल विकास के लिए बसवराज बोम्मई; वित्त के लिए भर्तृहरि महताब; ऊर्जा के लिए श्रीरंग अप्पा चंदू बारने; रक्षा के लिए राधा मोहन सिंह; संचार और सूचना प्रौद्योगिकी के लिए निशिकांत दुबे; कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण के लिए चरणजीत सिंह चन्नी शामिल हैं।

सरकार ने जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025 के लिए एक प्रवर समिति और दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक, 2025 के लिए एक प्रवर समिति का गठन किया है। जन विश्वास पर प्रवर समिति की अध्यक्षता तेजस्वी सूर्या करेंगे, जबकि बैजयंत पांडा दूसरी समिति का नेतृत्व करेंगे। संसदीय समितियां हर साल गठित होती हैं और निरंतर कार्य करती हैं। ये समितियां नियमित रूप से सदन को रिपोर्ट प्रस्तुत करती हैं, विधेयकों पर चर्चा करती हैं और अपने विषय से संबंधित विभिन्न नीतिगत पहलों का सुझाव देती हैं।