US टैरिफ का बड़ा असर! भारत का जेम्स-ज्वेलरी एक्सपोर्ट अक्टूबर में 30% धड़ाम

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व्यापार: कमोजर वैश्विक मांग और ऊंचे टैरिफ के बीच अक्तूबर में भारत के रत्न व आभूषण व्यापार में गिरावट देखी गई। रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने यह जानकारी दी। जीजेईपीसी के आंकड़ों के अनुसार वैश्वि मांग में कमी, उच्च ब्याज दरों, आपूर्ति शृंघला में व्यवधान और तीव्र अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव के कारण प्रमुख क्षेत्रों में निर्यात और आयात में गिरावट आई।

अक्तूबर में कुल निर्यात 30.5 प्रतिशत घटा
आंकड़ों से पता चलता है कि अक्तूबर 2025 में कुल सकल निर्यात 30.57 प्रतिशत घटकर 2,168.05 मिलियन डॉलर (19,172.89 करोड़ रुपये) रह गया। यह एक साल पहले 3,122.52 मिलियन डॉलर (26,237.10 करोड़ रुपये) था। आयात भी 19.2 प्रतिशत घटकर 1276.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर (11,299.6 करोड़ रुपये) रह गया, जो पिछले वर्ष इसी माह में 1580.13 मिलियन अमेरिकी डॉलर (13,276.26 करोड़ रुपये) था।

व्यापार शुल्कों का प्रभाव अब महसूस हो रहा है
कामा ज्वैलरी के प्रबंध निदेशक कॉलिन शाह ने कहा कि पहले लगाए गए व्यापार शुल्कों का प्रभाव अब महसूस किया जा रहा है। इससे लागत बढ़ गई है और खरीदारी कम हो गई है। उन्होंने बताया कि त्योहारों के बाद कंपनियां भी अपना स्टॉक कम-ज्यादा करके बाजार की स्थिति के हिसाब से काम कर रही हैं।

सोने और हीरे की कीमतों में उतार-चढ़ाव 
घरेलू स्तर पर, सोने और हीरे की कीमतों में उतार-चढ़ाव, निर्यातकों के लिए सीमित वित्तपोषण और प्रयोगशाला में विकसित हीरा क्षेत्र में समायोजन ने आयात और निर्यात में कमी में योगदान दिया। जीजेईपीसी ने आगे कहा कि मुद्रा में उतार-चढ़ाव और मजबूत डॉलर ने मूल्य प्रतिस्पर्धा और व्यापार की मात्रा को और प्रभावित किया।

कटे और पॉलिश किए गए हीरों का निर्यात में आई गिरावट
अक्तूबर में कटे और पॉलिश किए गए हीरों का निर्यात 26.97 प्रतिशत घटकर 1,025.99 मिलियन डॉलर (9,071.41 करोड़ रुपये) रह गया। वहीं आयात और भी अधिक 35.76 प्रतिशत घटकर 132.95 मिलियन डॉलर (1,176.7 करोड़ रुपये) रह गया।

जीजेईपीसी ने नए अमेरिकी टैरिफ के दोहरे प्रभाव पर प्रकाश डाला, जिसमें पारस्परिक उपाय, व प्रयोगशाला में उगाए गए हीरों (एलजीडी) से बढ़ती प्रतिस्पर्धा शामिल है। इनकी कीमत बहुत कम है, जिससे प्राकृतिक हीरों के लिए मार्जिन कम हो रहा है।

परिषद ने कहा कि टैरिफ से प्रभावित निर्माताओं ने उत्पादन में कटौती कर दी है, व वैश्विक मांग में धीरे-धीरे सुधार होने के कारण, क्षेत्र नए आयात के बजाय स्टॉक अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

सोने के आभूषणों के निर्यात में भारी गिरावट 
अक्तूबर में सोने के आभूषणों के निर्यात में भारी गिरावट आई और यह 24.61 प्रतिशत घटकर 850.15 मिलियन डॉलर रह गया, क्योंकि 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ के कारण भारतीय उत्पाद अप्रतिस्पर्धी हो गए और ऑर्डर रद्द हो गए। हालांकि, अप्रैल-अक्तूबर 2025 की अवधि में, सोने के आभूषणों का निर्यात 11.9 प्रतिशत बढ़कर 6,645.63 मिलियन डॉलर हो गया। इसे सोने की ऊंची कीमतों और शुरुआती साल की मजबूत मांग से समर्थन मिला।

चांदी के आभूषणों का सकल निर्यात बेहतर रहा
चांदी के आभूषणों का सकल निर्यात (अनंतिम, अप्रैल 2025 – अक्तूबर 2025) 717.78 मिलियन डॉलर (रुपये के हिसाब से 14.36 प्रतिशत) रहा। यह पिछले वर्ष के 652.95 मिलियन डॉलर (5,465.16 करोड़ रुपये) के इसी आंकड़े से बेहतर है। चालू वर्ष में सोने की ऊंची कीमत के कारण अप्रैल-अक्तूबर 2025 के दौरान चांदी के आभूषणों के निर्यात में डॉलर के हिसाब से 9.93 प्रतिशत और रुपये के हिसाब से 14.36 प्रतिशत की वृद्धि हुई।