झारखंड विधानसभा में नियुक्ति घोटाले की सीबीआई जांच नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई की हस्तक्षेप याचिका खारिज कर दी. इस याचिका में हाईकोर्ट द्वारा जांच के आदेश पर लगी रोक को हटाने की अपील की गई थी. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब सीबीआई मामले की प्रारंभिक जांच भी आगे नहीं बढ़ा सकेगी.
गौरतलब है कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की पीठ में मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान झारखंड विधानसभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि पूरा विवाद राजनीति से प्रेरित है और जब भी ऐसा कोई मामला सामने आता है तो सीबीआई बीच में आ जाती है.
कपिल सिब्बल ने कहा कि विधानसभा की याचिका अदालत पहले ही स्वीकार कर चुकी है तो ऐसे में सीबीआई की दलीलें उचित नहीं है.
सीबीआई के वकील ने क्या तर्क दिया
इस केस में सीबीआई का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कपिल सिब्बल के तर्क का विरोध करते हुए कहा कि नियुक्तियों में गंभीर गड़बड़ी हुई है और इसलिए केंद्रीय एजेंसियों को जांच जारी रखने की अनुमति दी जाए. कोर्ट ने सीबीआई की याचिका को स्वीकार करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी. गौरतलब है कि इस केस में सीबीआई ने हस्तक्षेप याचिका दायर करके बताया था कि विधानसभा में नियुक्ति और प्रमोशन में गड़बड़ी की जांच को राज्यपाल ने 7 जुलाई 2014 को 12 सदस्यीय न्यायिक आयोग के गठन का आदेश दिया था.
आयोग की रिपोर्ट पर राज्यपाल ने सीबीआई जांच की अनुशंसा की थी. बाद में मामला हाईकोर्ट गया और सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 23 अक्टूबर 2023 को सीबीआई जांच का आदेश दिया था. आदेश के खिलाफ झारखंड विधानसभा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की. तब उच्च न्यायालय ने 14 नवंबर 2024 को जांच पर रोक लगा दी.
झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका
गौरतलब है कि विधानसभा में नियुक्तियों और 2-2 न्यायिक जांच आयोग के गठन के मामले को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पाया था कि दूसरे आयोग का गठन सिर्फ पहले आयोग की जांच में मिली गलतियों पर पर्दा डालने के लिए किया गया था. इससके बाद कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था.









