ठंड के दिनों में लोग बाकी मौसम की तुलना में ज्यादा खाना खाते हैं. ये बहुत ही कॉमन है. स्टडी में भी ये दावा किया गया है कि सर्दियों के मौसम में लोग ज्यादा कैलोरी का सेवन करते हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि भूख में होने वाली इस सीजनल बढ़ोतरी का कारण टेंपरेचर में गिरावट होता है.
जब मौसम ठंडा होता है, तो बॉडी को अंदर से गर्म रहने के लिए ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है. ऐसे में ब्रेन बार-बार भूख और कैलोरी रिच फूड की क्रेविंग का सिग्नल भेजता है. ये फूड्स मुख्य रूप से शुगर और फैट से पैक्ड होते हैं, जिससे बॉडी कम समय में एनर्जी पैदा करके खुद को गर्म रख सके|
कार्बोहाइड्रेट करता है मूड अपलिफ्ट
ठंड के दिनों में धूप कम मिलने के कारण मूड रेगुलेट करने वाले हार्मोन सेरोटोनिन और डोपामाइन का लेवल कम होने लगता है, जिसके कारण थकान, चिड़चिड़ापन महसूस होने लगता है. ऐसे में लोगों को ब्रेड, पास्ता और डार्क चॉकलेट खाने की क्रेविंग महसूस होती है. कार्बोहाइड्रेट इन हार्मोन्स के लेवल को बैलेंस करता है|
ब्रेन करवा रहा ओवरईटिंग
ठंड में महसूस होने वाली भूख सिर्फ खाने से नहीं जुड़ा है. बल्कि ये ब्रेन की एक रणनीति है, जो मूड में सुधार के लिए जरूरी होता है. हालांकि कई लोगों के लिए ये ओवरईटिंग का कारण बन जाता है, जो वेट गेन के लिए जिम्मेदार कारक है|
हार्मोन का खेल
ठंड में ज्यादा भूख लगने के कारणों में हार्मोन भी एक भूमिका निभाते हैं, जैसे कि ग्रेलिन, जो भूख बढ़ाता है, बढ़ जाता है, जबकि लेप्टिन, जो पेट भरने का संकेत देता है, नींद में खलल या कम गतिविधि के कारण कम होने लगता है. ये बदलाव मिलकर हमें खाने के बाद कम संतुष्ट महसूस कराते हैं, इसलिए इन ट्रिगर को पहचानना और उन्हें कंट्रोल रखना जरूरी होता है|









