इस्लामाबाद पाकिस्तान के सियासी इतिहास में एक ऐसी महिला का नाम आज भी चमकता है, जिसे ‘जनरल रानी’ कहा गया था। अकलीम अख़्तर को यह उपाधि इसलिए मिली थी क्योंकि वे पाकिस्तानी फौज के ताकतवर जनरलों की ‘रानी’ थीं। यह एक ऐसी कहानी हैं जो पॉवर, साजिश, सेक्स और पतन की मिसाल है। 1960-70 के दशक में वे जनरल याह्या खान की सबसे करीबी रहीं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कहा जाता है कि याह्या खान उन पर इतना फिदा थे कि 1971 की जंग में भी उनका ध्यान रानी पर ही लगा रहा, लेकिन उनकी असली विरासत उनकी बेटी अरूसा आलम के हाथों बनी, जिसने भारत के पंजाब की राजनीति में ऐसा तूफान मचाया कि पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का राजनीतिक करियर ही दांव पर लग गया। यह कहानी सिर्फ दो देशों के बीच की दुश्मनी नहीं, बल्कि प्यार, विश्वासघात और सत्ता की भूख की है।
बता दें अकलीम अख्तर का जन्म 1930 के दशक में गुजरात जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। बचपन से ही वे काफी साहसी थीं। कम उम्र में ही उनकी शादी एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से हो गई थी, लेकिन शादी के बाद जिंदगी ऐसी उलझी कि वे घर छोड़ने को मजबूर हो गईं। पति की मारपीट और आर्थिक तंगी ने उन्हें तोड़ दिया। 1963 या उसके आसपास पहाड़ों पर एक छुट्टी के दौरान वह अपने पति से तकरार के बाद अलग हो गईं।
1960 के दशक में वह अपने दो बच्चों बेटी अरूसा और बेटे के साथ करांची, लाहौर और रावलपिंडी के नाइट क्लबों की दुनिया में उतर गईं। वहां पाकिस्तान के राजनीतिक, सैन्य और व्यापारिक हल्कों के मर्दों का जमावड़ा रहता था। अकलीम ने खुद को ‘पार्टी ऑर्गनाइजर’ बना लिया। वे न शराब पीतीं, न डांस करतीं, लेकिन स्मार्ट तरीके से काम करती थीं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि मैं मर्दों की कमजोरियों को भांपती थी। मैं उन्हें ‘डंब, प्रिटी गर्ल्स’ देती, जो बिना किसी बंधन के आती थीं। वे टॉयलेट के पास बैठतीं, जहां शराब के नशे में जनरल लोग आते और बातचीत शुरू कर देती थीं।
अकलीम की यह रणनीति काम कर गई। 1969 में जब जनरल अयूब खान के बाद जनरल याह्या खान पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने। एक पार्टी में अकलीम की मुलाकात याह्या से हुई। नशे में धुत याह्या टॉयलेट से लौटे और अकलीम ने बात करने लगे। जल्द ही यह रिश्ता गहरा हो गया। याह्या उनपर इतना फिदा थे कि उन्हें ‘जनरल रानी’ कहने लगे। कहा जाता है कि याह्या की कमजोरियां यानी शराब, औरतों को अकलीम ही संभालती थी। बताया जाता है कि उनके एक इशारे पर लोगों को नौकरी मिल जाती थी, प्रमोशन हो जाता, या ट्रांसफर। प्रभावशाली लोग उनके पास फेवर मांगने के लिए लाइन में लगे रहते थे।
अकलीम और याह्या का एक किस्सा बड़ा मशहूर है। कहा जाता है कि एक बार याह्या रात 2 बजे परेशान होकर उनके पास आए। उन्हें नूरजहां का गाना सुनना था। अकलीम ने तुरंत लाहौर की फ्लाइट बुक कराई, होटल सूट रिजर्व कराया और सुबह तक रिकॉर्डिंग करवा दी। इस दिन अकलीम ने याह्या के दिल में घर कर लिया। अकलीम का उन पर इतना असर था कि कहा जाता है 1971 की जंग में भी उनका ध्यान अपनी जनरल रानी पर ही लगा रहा।








