राजस्थान | वन्यजीव संरक्षण को बड़ी मजबूती देते हुए भारत सरकार ने राजस्थान के लिए पहली अंतर-राज्यीय टाइगर ट्रांसलोकेशन को मंजूरी दे दी है। केंद्र ने भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर से मध्यप्रदेश की एक बाघिन को राजस्थान लाने की अनुमति प्रदान की है। यह अनुमति रक्षा मंत्रालय ने शनिवार देर शाम जारी की गई।
बाघिन को मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिज़र्व से बूंदी जिले के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व (RVTR) लाया जाएगा। सड़क मार्ग से 14 घंटे की यात्रा के बजाय हवाई मार्ग से यह सफर करीब ढाई घंटे में पूरा होगा, जिससे तनाव और चोट का जोखिम काफी कम होगा राज्य वन विभाग को हवाई ट्रांसफर के सभी इंतजाम पूरे करने, वन और एविएशन टीमों के साथ समन्वय बनाने तथा सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि यह पहली बार होगा जब राजस्थान किसी अन्य राज्य से बाघ लाएगा, ताकि संरक्षण को बढ़ावा मिल सके और जीन विविधता में सुधार हो।
राजस्थान कुल 5 बाघ जिनमें तीन मध्यप्रदेश से और दो महाराष्ट्र से हैं, को मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व (कोटा) और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व (बूंदी) में लाने की तैयारी कर रहा है। पहले चरण में दोनों रिज़र्व के लिए एक-एक बाघ अगले सप्ताह भेजा जाएगा। मध्यप्रदेश वन विभाग ने पहली बाघिन की पहचान प्रक्रिया शुरू कर दी है। वर्तमान में RVTR में सात और MHTR में पांच बाघ मौजूद हैं। नए बाघों के लिए शिकार आधार मजबूत करने हेतु विभाग दोनों रिज़र्व में 150 चीतलों को छोड़ने की तैयारी कर रहा है।
आज शुरू होगा ट्रांसलोकेशन
टाइगर ट्रांसलोकेशन की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। सीसीएफ सुगनाराम जाट ने बताया कि वे बुधवार रात मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिज़र्व के लिए रवाना होंगे। वहां मध्यप्रदेश वन विभाग बाघिन की पहचान सुनिश्चित करेगा। इसके बाद ट्रांसलोकेशन प्रक्रिया शुरू होगी। बाघिन को ट्रेंकुलाइज (बेहोश) करने के बाद उसकी सभी आवश्यक चिकित्सा जांच की जाएगी। जांच पूरी होने पर शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें सेना के हेलीकॉप्टर की मदद से बाघिन को राजस्थान लाया जाएगा।
6 महीने में होगा सर्वाइवल ऑडिट
राजस्थान में बाघों की ट्रांसलोकेशन के साथ ही हर छह महीने में इनका सर्वाइवल ऑडिट भी होगा। डब्लूआईआई ने टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स को ट्रांसलोकेशन वाले बाघों की निगरानी का जिम्मा सौंपा है।









