ठंड से बचने के लिए खाट के नीचे रखी अंगीठी, गहरी नींद में सो रहा बुजुर्ग जिंदा जला

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शहडोल: मध्य प्रदेश में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है, तापमान लगातार गिर रहा है. प्रदेश के कई जिले शीत लहर की चपेट में है. वहीं शहडोल में पिछले कई दिनों से 5 डिग्री के नीचे तापमान चल रहा है. 10 दिसंबर को तो 3 डिग्री तापमान दर्ज किया गया है. ऐसे में ठंड से बचने के लिए लोग आग का सहारा ले रहे हैं. इस कड़ाके की ठंड से बचने के लिए एक बुजुर्ग ने चारपाई के नीचे अंगीठी रखी थी, जिससे जलकर उसकी मौत हो गई है.

ठंड से बचाव बना मौत का कारण

यह मामला शहडोल के जयसिंहनगर थाना क्षेत्र के मौहार टोला का है. यहां मंगलवार की रात 62 वर्षीय बुजुर्ग ईश्वरदीन रैदास अपने कच्चे मकान के कमरे में सो रहा था और उसने ठंड से राहत पाने के लिए खाट के नीचे अंगीठी जलाकर रख ली थी. देर रात अंगीठी की आग बिस्तर तक पहुंच गई और देखते ही देखते खाट और बिस्तर को अपनी चपेट में ले लिया. जब तक बुजुर्ग को कुछ समझ आता तब आग पूरे कमरे में फैल गई. बुजुर्ग बिस्तर से उठ भी नहीं पाया और धधकती आग में जलकर खाक हो गया.

कमरे की हालत देख डर गए परिजन

इसका खुलासा तब हुआ, जब सुबह उनका बेटा मुन्नालाल रैदास उठा. उसने देखा कि जहां पिता सो रहे थे वहां से धुआं उठा रहा था. बेटा और परिवार के अन्य सदस्यों ने कमरे में जाकर देखा, तो अंदर का हाल देखकर वे डर गए. बिस्तर और कमरे में रखा सारा सामान जलकर राख हो चुका था और ईश्वरदीन रैदास का शरीर उसी राख के ढेर पर पूरी तरह से जला हुआ पड़ा था. यह देखकर परिजन के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. घटनास्थल पर चीख पुकार मच गई. परिजनों ने तुरंत पुलिस को मामले की सूचना दी.

पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा

घटना की जानकारी मिलते ही जयसिंह नगर थाना की पुलिस मौके पर पहुंच गई. इस पूरे घटनाक्रम को लेकर जयसिंहनगर थाना प्रभारी अजय बैगा ने बताया, "प्रथम दृष्टया वृद्ध की मौत अंगीठी की लपट खाट में लगने के कारण हुई है. फिलहाल पुलिस ने पंचनामा तैयार कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. साथ ही पुलिस मामले की जांच शुरू कर दी है."

 

 

    पिता की दर्दनाक मौत से बेटे का बुरा हाल

    बुजुर्ग के बेटे मुन्नालाल ने बताया,"पिता जी कमरे में अकेले सोते थे. वे रोज ही ठंड से बचने के लिए खाट के नीचे धीमी आंच कर अंगीठी रख लेते थे. रोजाना की तरह मंगलवार को भी उन्होंने खाट के नीचे अंगीठी रखकर सो गए. यह हादसा कैसे हो गया किसी को पता ही नहीं चल सका. परिवार के सभी सदस्य अपने-अपने कमरों में गेट बंद कर सो रहे थे. जब सुबह मैं उठा तो देखा कि पिता के कमरे से धुआं उठ रहा है यह देखने के लिए गया था, जैसे कमरे के अंदर देखा मेरे होश उड़ गए थे. पिता जी वहीं जले बिस्तर की राख पर पड़े हुए थे."