रुपये से आगे अफगानिस्तानी करेंसी, क्या है इसकी असली वजह?

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भारतीय करेंसी में इन दिनों काफी दबाव देखने को मिल रहा है. रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है | बीते शुक्रवार को भारतीय रुपये ने फिर एक बार रिकॉर्ड लो बनाया और 90.50 का भी आंकड़ा पार कर गया | भारतीय करेंसी की कमजोरी के बीच अफगानिस्तानी करेंसी की भी चर्चा शुरू हुई है. क्योंकि भारत के मुकाबले वहां की करेंसी मजबूत है. जी हां, शायद पहली बार सुनने में आपको यकीन न हुआ हो लेकिन अभी यही सच्चाई है. अफगानिस्तान की मुद्रा भारत से ज्यादा ताकतवर है. आइए जानते हैं कि वहां की करेंसी मजबूत क्यों है |

अफगानिस्तान की करेंसी अफ्गान अफ्गानी है जिसकी वैल्यू भारतीय रुपये में अभी 1 रुपये 38 पैसे के बराबर है. यानी अगर आप अफगानिस्तान में आज के समय में 1 लाख रुपये कमाते हैं तो उस एक लाख रुपये की वैल्यू भारत आने पर 1 लाख 38 हजार रुपये हो जाएगी. मगर अफगानिस्तान की करेंसी तालिबानी शासन के रहते हुए मजबूत है या मजबूत दिख रही है. इसे समझना जरूरी है |

क्यों मजबूत है अफगानिस्तानी करेंसी

साल 2021 में सत्ता में आने के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान में अमेरिकी डॉलर और पाकिस्तानी रुपये के इस्तेमाल पर रोक लगा दी. विदेशी मुद्रा की गैर-मौजूदगी के चलते उसकी मांग नहीं बनती | सरकार ने लेन-देन को स्थानीय करेंसी तक सीमित कर दिया है और इंपोर्ट-एक्सपोर्ट पर सख्त नियंत्रण रखा है. चूंकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश बेहद सीमित हैं, इसलिए अफगानी करेंसी पर बाहरी दबाव नहीं पड़ता | देश की अर्थव्यवस्था फिलहाल छोटे और बंद दायरे में सिमटी हुई है, जहां करेंसी की मांग-आपूर्ति लगभग संतुलित है. यही वजह है कि अफगानी मुद्रा अभी स्थिर नजर आ रही है|

हालांकि, इसमें एक समझने वाली बात यह है कि अगर अफगानिस्तान की करेंसी मजूबत है तो इसका बिल्कुल मतलब नहीं है कि वहां की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है|या फिर भारत के मुकाबले उनकी जीडीपी बहुत अच्छी है. करेंसी अच्छी स्थिति में है क्योंकि विदेशी मुद्राओं का चलन नहीं है. ट्रेड पर नियत्रंण है |