जेबीवीएनएल की वित्तीय अनियमितताओं का मामला सामने आया है. वित्त वर्ष 2024-25 की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उपभोक्ताओं से ली गई सिक्योरिटी राशि और उस पर देय ब्याज का स्पष्ट और पूर्ण रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. यह रिपोर्ट विद्युत नियामक आयोग को सौंपी गई है.
ऑडिट के अनुसार, सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में जेबीवीएनएल को कुल 36.23 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, लेकिन इनमें से केवल 14.72 करोड़ रुपये का ही रिकॉर्ड उपलब्ध है. शेष 21.51 करोड़ रुपये का कोई लेखा-जोखा न होना कंपनी की पारदर्शिता और वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े करता है.
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि सिक्योरिटी डिपॉजिट पर ब्याज भुगतान में अनियमितता है. कुल 15.25 करोड़ रुपये का ब्याज औसत आधार पर भुगतान किया गया, जबकि वास्तविक तिथियों के अनुसार गणना नहीं की गई. पूर्ण विवरण के अभाव में ऑडिटरों ने इन मदों के वित्तीय विवरणों पर सटीक राय देने में असमर्थता जताई है. रिपोर्ट में कंपनी की आंतरिक लेखा प्रणाली और नियंत्रण तंत्र को मजबूत करने की सिफारिश की गई है.
इसके अलावा, बिजली खरीद से जुड़े खर्चों पर भी सवाल उठाए गए हैं. कंपनी ने बिजली खरीद पर 9,189.28 करोड़ रुपये खर्च करने का दावा किया है, लेकिन इसमें से 2,217.43 करोड़ रुपये के खर्च से संबंधित कोई ठोस दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध नहीं कराए गए.
बिजली बिल में ब्याज समायोजन पर भी संदेह
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में ब्याज का समायोजन किया गया, लेकिन यह राशि केवल 42.55 करोड़ रुपये तक ही सीमित रही. शेष राशि का कोई स्पष्ट विवरण नहीं मिला. वहीं, डिस्कनेक्ट किए गए उपभोक्ताओं को इस अवधि में 3.64 करोड़ रुपये की राशि रिफंड की गई, लेकिन इन भुगतानों से संबंधित उपभोक्ता-वार विवरण और प्रमाणिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए. इससे इन लेन-देन की सत्यता की पुष्टि नहीं हो सकी.









