भोपाल : 7 साल से अधिक सजा वाले गंभीर मामलों में पुलिस की जांच अब और धारदार होने जा रही है. मध्यप्रदेश पुलिस के अब नई मोबाइल फॉरेंसिक वैन (एमएफवी) मिल गई है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पुलिस मुख्यालय ने 51 नई मोबाइल फॉरेंसिक वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना कर दिया है. इन्हें प्रमुख शहरों में भेजा जा रहा है. एक एफएमवी की कीमत करीबन 65 लाख रुपए है. इस एफएमवी में जांच की 14 किटें मौजूद रहेंगी.एफएमवी को हरी झंडी दिखाने के बाद मुख्यमंत्री ने पीएचक्यू में डीजी आईजी सम्मेलन के संबोधित करते हुए सभी सीनियर पुलिस अधिकारियों को फील्ड में उतरने और औचक निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं.
क्यों खास हैं यह एमएफवी?
नया कानून लागू होने के बाद पुलिस को 7 साल से ज्यादा सजा वाले अपराधों में फॉरेंसिक अधिकारियों को घटना स्थल पर जाना अनिवार्य हो गया है और मौके से अपराध से जुड़े तमाम सबूतों को इकट्ठा करने और मौके पर ही इसकी जांच करनी होगी. कई गंभीर मामलों में लचीली फॉरेंसिक रिपोर्ट की वजह से फायदा अपराधी को मिल जाता है. क्योंकि पुलिस मौके से जो सैंपल जब्त करती है, फॉरेंसिक रिपोर्ट में उसकी पुष्टि ही नहीं हो पाती. लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा.
फॉरेंसिक वैन के अंदर होंगी इस तरह की टेस्टिंग किट
नई एमएफवी में फॉरेंसिक एक्सपर्ट मौके पर पहुंचेंगे और खुद ही घटनास्थल से सबूत इकट्ठे करेंगे. इसके बाद वैन में मौजूद अलग-अलग किट की मदद से इसकी जांच की जाएगी. केन्द्र सरकार से मध्यप्रदेश को कुल 213 एमएफवी मिलनी हैं, इसमें से पहले चरण में 51 एमएफवी पुलिस को मिल गई हैं. शुरुआत में हर जिले को एक-एक एमएफवी दी गई है. इसके बाद भोपाल, इंदौर जैसे बड़े शहरों को 6-6 एमएफवी और दी जाएंगी. इस वैन में फिंगर प्रिंट, फुट एंड टायर, लाइट सोर्स यूवी किट, क्राइम सीन प्रोटेक्शन किट, ब्लड एंड सीमेन किट, सेक्सुअल डिस्चार्ज कलेक्शन, गन पाउडर डिटेक्शन, नारकोटिक्स, विस्फोटक, बुलेट होल टेस्टिंग जैसी किट मौजूद होंगी.
फील्ड में उतरें आला अधिकारी : सीएम
इसके साथ ही डीजी आईजी सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, '' पुलिस अधिकारी और कर्मचारी अपनी भाषा और व्यवहार के प्रति सतर्क रहें. सोशल मीडिया के दौरान में यह सूचना का शक्तिशाली साधन होने के साथ ही गंभीर चुनौती भी बनकर उभरा है. पुलिस अपनी उपलब्धियों और सकारात्मक गतिविधियों के बारे में भी जानकारी साझा करें. सभी सीनियर पुलिस अधिकारियों को फील्ड में उतरने और औचक निरीक्षण करें.''
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, '' पुलिस के बारे में लोगों की धारणा बदलने और पुलिस के जनता से बेहतर संवादा के लिए विशेष पहल करने की जरूरत है. पुलिस अपनी उपलब्धियों और पॉजीटिव गतिविधियों की जानकारी जनता तक पहुंचाए. इसके लिए पुलिस अधिकारी सक्रिय रहें. पुलिस की छवि मदद करने वाली हो, हमारी कोशिश हो कि लोग पुलिस को भय नहीं, विश्वास की नजरों से देखें.''
नक्सलवाद फिर न हो पैदा
पुलिस अधिकारियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, '' नक्सलवाद से प्रभावित रहे क्षेत्रों में विकास और जनकल्याण की गतिविधियां इस तरह संचालित की जाएं, ताकि नक्सलवाद फिर से पैदा न हो सके. पुलिस के सीनियर अधिकारी अपने प्रभार वाले क्षेत्रों में औचक निरीक्षण जैसी गतिविधियां तत्काल शुरू करें. महिला सुरक्षा सरकार और पुलिस की प्रमुख प्राथमिकताओं में हैं. जिन क्षेत्रों में महिलाओं के विरूद्ध अपराध की संभावना ज्यादा रहती है, वहां विशेष निगरानी, गश्त और कार्रवाई की जाए. ''









