मोदी मजदूरों का पैसा बढऩे नहीं देना चाहते
नई दिल्ली। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा को खत्म करने से गांवों में रहने वाले करोड़ों लोगों पर बुरा असर पड़ेगा। उन्होंने मनरेगा के खत्म होने को सामूहिक नाकामी बताया और इसके खिलाफ सभी से एकजुट होने की अपील की है। सोनिया गांधी का यह बयान तब आया है, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विकसित भारत ग्रामीण रोजगार आजीविका मिशन (ग्रामीण) (वीबी-जी राम जी) बिल को मंजूरी दे दी है, जो मनरेगा की जगह लेगा। इस नए कानून में ग्रामीण मजदूरों को 125 दिन काम देने की गारंटी दी गई है। सोनिया गांधी ने एक अंग्रेजी अखबार में लिखे अपने कॉलम द बुलडोजर डिमॉलिश ऑफ मनरेगा में यह बात कही।
सोनिया गांधी ने कहा कि मनरेगा, महात्मा गांधी के सर्वोदय यानि ‘सबका कल्याण’ के विचार पर आधारित था। इसने काम के अधिकार को मजबूत किया है। उन्होंने कहा, संकट से बचने के लिए ग्रामीणों के लिए बने इस रोजगार गारंटी कानून को बुलडोजर चलाकर खत्म कर दिया गया है। रूत्रहृक्रश्वत्र्र संविधान के अनुच्छेद 41 से प्रेरित था, जिसमें नागरिकों को काम का अधिकार देने की बात कही गई है। सोनिया ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने बिना चर्चा, बिना सलाह और संसद की प्रक्रिया का सम्मान किए बिना योजना को खत्म कर दिया। जबकि महात्मा गांधी का नाम हटाना तो सिर्फ शुरुआत थी, असल में पूरी योजना को ही खत्म कर दिया गया है।
नया कानून अफसरशाही नियमों का ढांचा
सोनिया ने नए कानून को अफसरशाही नियमों का ढांचा बताया। उन्होंने दावा किया कि इस योजना का दायरा अब केंद्र सरकार की मर्जी से होगा। पहले जहां बजट की कोई सीमा नहीं थी। अब तय बजट होगा, जिससे राज्यों में काम के दिनों की संख्या सीमित हो जाएगी। इससे सालभर रोजगार की गारंटी खत्म हो जाएगी। सोनिया ने कहा की मनरेगा की सबसे बड़ी सफलता थी कि इससे ग्रामीण गरीबों, खासकर भूमिहीन मजदूरों की सौदेबाजी की ताकत बढ़ी और मजदूरी में सुधार हुआ। नया कानून इस ताकत को कमजोर कर देगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मजदूरों का पैसा बढऩे से रोकना चाहती है, जबकि आजादी के बाद पहली बार कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़ा है।
रोजगार 100 से बढ़ाकर 125 दिन करने का दावा झूठा
उन्होंने यह भी कहा कि नए कानून में खर्च का बड़ा बोझ राज्यों पर डालकर सरकार उन्हें इस योजना के तहत काम देने की राह में रुकावट डाल रही है। राज्यों की आर्थिक स्थिति पहले ही खराब है, अब यह और बिगड़ेगी। सोनिया गांधी ने कहा कि सरकार झूठा दावा कर रही है कि रोजगार 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि, मोदी सरकार ने पिछले 10 सालों में बजट रोकी, तकनीकी मुश्किलें खड़ी की और मजदूरों को देर से पैसा देकर मनरेगा को कमजोर किया है।
मनरेगा खत्म करना, संविधान पर हो रहे हमलों का हिस्सा
सोनिया गांधी ने अपने लेख में लिखा, काम का अधिकार खत्म करना संविधान पर लगातार हो रहे हमलों का हिस्सा है। वोट देने का अधिकार, सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, वन अधिकार कानून और भूमि अधिग्रहण कानून को भी कमजोर किया गया है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, तीन कृषि कानूनों के जरिए किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि रूस्क्क का अधिकार छीना गया और अब नेशनल फूड सिक्योरिटी कानून भी खतरे में है।









