रायपुर : सपने वो नहीं जो सोते समय आए, बल्कि वो हैं जो सोने न दें.. प्रदेश की आदिवासी बहुल कोंडागांव जिले की बेटियों ने इसी सोच के साथ अपने जीवन को दिशा दी और आज नगर सैनिक और जिला बल में चयनित हुई हैं। छत्तीसगढ़ शासन युवाओं के भविष्य को संवारने के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें आगे बढ़ने के लिए कई अवसर प्रदान कर रही है। इसी क्रम में जिला प्रशासन कोंडागांव द्वारा युवाओं के सपनों को साकार करने के लिए निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था की गई है, जिसने जिले के कई युवाओं के सपनों को पंख दिए हैं।
जगबती मरकाम को लक्ष्य मिलने पर राह हुई आसान
जिले के ग्राम मालाकोट की निवासी जगबती मरकाम जब लक्ष्य कोचिंग सेंटर पहुँचीं, तब उन्होंने जो सपने देखे थे, उन्हें सही रणनीति और मार्गदर्शन की ज़रूरत थी। कोचिंग सेंटर में उन्हें यह समझाया गया कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी केवल पढ़ाई नहीं, बल्कि एक सुव्यवस्थित रणनीति, नियमित अभ्यास और आत्मविश्वास का खेल है।
जगबती को यहां परीक्षा की तैयारी की सही दिशा मिली। पढ़ाई की योजना कैसे बनानी है, समय का प्रबंधन कैसे करना है और विषयों को कैसे समझना है, इन सभी पहलुओं पर उन्हें मार्गदर्शन मिला। इसका परिणाम यह रहा कि जगबती का जिला बल में भी चयन हुआ।
कोचिंग ज्वाइन करने से पहले जगबती समाजशास्त्र में मास्टर डिग्री कर रही थीं। उन्होंने दो बार नेट परीक्षा भी दी थी और सेट परीक्षा में मात्र 12 अंकों से पीछे रह गई थीं। यह असफलता उनके लिए निराशा नहीं, बल्कि सीख बन गई। दोस्तों के माध्यम से उन्हें लक्ष्य कोचिंग के बारे में जानकारी मिली। वे बताती हैं कि इस कोचिंग ने उनके लक्ष्य को एक नया रास्ता दिया।
नीलम मरकाम के लिए आर्थिक कठिनाई भी बाधा नहीं बनी
पाली गांव की निवासी नीलम मरकाम की कहानी संघर्ष, साहस और आत्मविश्वास की मिसाल है। नगर सेना में भर्ती से पहले नीलम बीएससी तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रही थीं और साथ ही सीजीपीएससी परीक्षा की तैयारी भी कर रही थीं।
नीलम बताती हैं कि वह सीजीपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग करना चाहती थी पर उनके पास कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे, लेकिन जब उन्हें पता चला कि जिला प्रशासन द्वारा यह कोचिंग पूर्णतः निःशुल्क है, तो उनके लिए उम्मीद की एक नई किरण जागी। लक्ष्य कोचिंग के शिक्षकों ने नीलम को न सिर्फ विषयों का ज्ञान दिया, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत किया। इसी दौरान नगर सैनिक भर्ती का विज्ञापन आया। नीलम ने आवेदन किया और पूरी तैयारी के साथ परीक्षा में जुट गईं। नीलम बताती हैं कि उनके गांव के दो युवक छत्तीसगढ़ पुलिस बल की तैयारी कर रहे थे। उन्हीं के साथ उन्होंने फिजिकल की तैयारी शुरू की। जब फिजिकल टेस्ट में पास हुआ, तो उनका आत्मविश्वास और बढ़ गया। उसके बाद उन्होंने लिखित परीक्षा की तैयारी शुरू की।
इस बीच उनके कॉलेज की परीक्षाएँ भी थीं। एक साथ दो-दो परीक्षाओं की तैयारी करना आसान नहीं था। नीलम बताती हैं कि परीक्षा से पहले वे काफी नर्वस थीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। सही समय प्रबंधन और शिक्षकों के मार्गदर्शन से उन्होंने दोनों परीक्षाओं की तैयारी की और अंततः सफल हुईं। नीलम का कहना है कि वे आगे भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी जारी रखेंगी और पढ़ाई भी नहीं छोड़ेंगी।
अनुशासन और परिश्रम से रंजना राणा को मिली सफलता
मर्दापाल निवासी रंजना राणा एक कृषक परिवार से आती हैं। चार भाई-बहनों में रंजना सबसे छोटी हैं। नगर सेना में चयन से पहले वे लक्ष्य कोचिंग सेंटर के माध्यम से सीजीपीएससी की तैयारी कर रही थीं। रंजना बताती हैं कि जब नगर सैनिक का पोस्ट आया, तो उन्होंने तुरंत आवेदन किया। फिजिकल की तैयारी के लिए रंजना ने अपनी दिनचर्या में नियमित दौड़ को शामिल किया। इसी कारण फिजिकल टेस्ट भी उनके लिए आसान रहा। इसी तरह उन्हें लिखित परीक्षा में ज्यादा कठिनाई नहीं हुई। क्यूंकि वे पहले से ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थीं।
रंजना की दिनचर्या बेहद अनुशासित है, सुबह 4 बजे उठना, रनिंग करना, फिर पढ़ाई और उसके बाद सुबह 9 बजे कोचिंग जाना। वे बताती हैं कि कोचिंग सेंटर के शिक्षक सरल और प्रभावी तरीके से पढ़ाते हैं, जिससे विषयों को समझना आसान हो जाता है। रंजना का सपना है कि वे भविष्य में और आगे बढ़े, इसके लिए वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी लगातार जारी रखेंगी।
इसी प्रकार बलीराम बघेल, ग्राम नेवरा निवासी, जो कोंडागांव जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित है, ने अपनी मेहनत और लगन से एक मिसाल कायम की है। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद बलीराम ने अपने ही गांव के स्कूल में ट्यूटर के रूप में तीन वर्षों तक बच्चों को पढ़ाया। जब यह अस्थायी पद समाप्त हुआ, तो बलीराम ने हिम्मत नहीं हारी। वे कोंडागांव आए और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की। इसी दौरान उन्होंने जिला प्रशासन द्वारा संचालित लक्ष्य निःशुल्क कोचिंग संस्थान, कोंडागांव से जुड़कर अपनी तैयारी को एक ठोस दिशा दी। विषय विशेषज्ञ शिक्षकों के मार्गदर्शन, नियमित अध्ययन और अनुशासित दिनचर्या के बल पर बलीराम ने सफलता हासिल की और छत्तीसगढ़ पुलिस बल में चयनित होकर अपने सपने को साकार किया।
इसी तरह ग्राम बफना निवासी मनोज नेताम ने भी लक्ष्य कोचिंग सेंटर के माध्यम से प्रतियोगी परीक्षा की सशक्त तैयारी की। सीमित संसाधनों के बावजूद मनोज ने निरंतर अभ्यास, शारीरिक तैयारी और शिक्षकों के मार्गदर्शन को अपनी ताकत बनाया। परिणामस्वरूप उनका भी छत्तीसगढ़ पुलिस बल में चयन हुआ।
निःशुल्क कोचिंग से कई युवा विभिन्न पदों में हुए चयनित
ज्ञात हो कि 10 दिसंबर 2024 से जिला प्रशासन द्वारा इस संस्थान की शुरुआत की गई थी। यहां यूपीएससी, सीजीपीएससी, व्यापम, एसएससी, जीडी, आरआरबी, एसआई, बैंकिंग, शिक्षक भर्ती, पुलिस आरक्षक, वन विभाग सहित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है। संस्थान में विषय विशेषज्ञों द्वारा नियमित और गुणवत्तापूर्ण अध्यापन कराया जा रहा है। महज एक वर्ष के भीतर ही संस्थान ने उल्लेखनीय परिणाम दिए हैं। नगर सैनिक में 25, पुलिस आरक्षक जीडी में 56, सहायक शिक्षक में 1, एसएससी जीडी में 14 और अग्निवीर में एक का चयन हुआ है। वर्तमान में पीएससी, व्यापम, शिक्षक भर्ती और एसएससी जीडी की कक्षाएं निरंतर संचालित हो रही हैं। यहां अभ्यर्थियों को पूर्णतः निःशुल्क कोचिंग सुविधा प्रदान की जाती है।









