लखनऊ। नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी समेत सोनिया-प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खडग़े को लखनऊ कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। राहुल गांधी के एक बयान को लेकर दाखिल परिवाद पर एमपी-एमएलए कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा- विवादित बयान को लेकर सभी 5 जनवरी 2026 को जवाब दाखिल करें। परिवाद अधिवक्ता नृपेन्द्र पांडेय की ओर से दाखिल किया गया था।
नृपेन्द्र पांडेय ने कोर्ट को बताया-15 जनवरी 2025 को नई दिल्ली स्थित कांग्रेस के नवनिर्मित मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ के उद्घाटन के अवसर पर राहुल गांधी गांधी ने कहा था- वी आर नाउ फाइटिंग द बीजेपी, द आरएसएस एंड द इंडियन स्टेट इटसेल्फ। परिवाद में दावा है कि यह बयान भारत राष्ट्र और उसकी संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है, जिसे जानबूझकर और सोच-समझकर दिया गया है।
‘इंडियन स्टेट’ की व्याख्या को बनाया आधार
परिवाद में ‘इंडियन स्टेट’ की व्याख्या करते हुए कहा गया है कि इसका अर्थ केवल सत्ताधारी दल नहीं, बल्कि भारत की संसद, न्यायपालिका, कार्यपालिका और समूची संवैधानिक व्यवस्था से है। ऐसे में ‘इंडियन स्टेट’ के खिलाफ लडऩे की बात करना भारत राष्ट्र, उसकी एकता और अखंडता के विरुद्ध है। यह राष्ट्र दोह के दायरे में आता है।
बयान का कोई विरोध या खंडन नहीं किया
परिवाद में कहा गया है कि कार्यक्रम में मौजूद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खडग़े, सोनिया गांधी, के.सी. वेणुगोपाल, प्रियंका गांधी वाड्रा और जयराम रमेश ने राहुल गांधी के इस बयान का कोई विरोध या खंडन नहीं किया। इससे यह स्पष्ट होता है कि बयान सामूहिक सहमति से दिया गया है।
देश को अस्थिर करने की साजिश का आरोप
परिवादी नृपेन्द्र पांडेय ने अदालत में दलील दी कि राहुल गांधी और उनके सहयोगी बार-बार संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाकर, युवाओं और आम जनता के मन में भ्रम और असंतोष फैलाने का काम कर रहे हैं। इससे देश को अस्थिर करने और सामाजिक सौहार्द बिगाडऩे की साजिश की आशंका जताई गई है। लखनऊ के हजरतगंज थाने से जुड़े इस परिवाद की सुनवाई एसीजेएम तृतीय/एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट में हुई। न्यायालय ने सभी पक्षों को नोटिस जारी करते हुए 5 जनवरी 2026 को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई में अदालत यह तय करेगी कि मामले में आगे की विधिक कार्रवाई किस दिशा में बढ़ेगी।









