मोदी-योगी समर्थक मुस्लिम युवक की कहानी, 3 बार बेटी की शादी टूटने का दावा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लखनऊ दौरे और ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ के उद्घाटन के मौके पर एक ऐसी कहानी सामने आई, जो राजनीतिक ध्रुवीकरण के बीच साम्प्रदायिक सद्भाव और व्यक्तिगत आस्था की मिसाल पेश करती है. मिर्जापुर के रहने वाले मुस्लिम युवक तौकीर अहमद, प्रधानमंत्री मोदी को देखने और उनके समर्थन के लिए सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर लखनऊ पहुंचे. उनके हाथ में एक बड़ा पोस्टर था, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, यूपी सरकार के मंत्री स्वतंत्र देव सिंह सहित कई भाजपा नेताओं की तस्वीरें लगी हुई थीं |

तौकीर अहमद ने भावुक होकर बताया कि मैं मोदी-योगी को मानता हूं, इसलिए मेरी बेटी की शादी टूट रही है. एक बार नहीं, तीन-तीन बार रिश्ते टूट चुके हैं. मेरे समाज के लोग मुझे दुत्कारते हैं. कहते हैं कि ये मुसलमान होकर हिंदू हो गया है. गाय का गोबर खाता है, गाय का मूत्र पीता है. कहते-कहते तौकीर की आंखें नम हो गईं. तौकीर ने आगे बताया कि वे मोदी और योगी सरकार के कामकाज से बेहद प्रभावित हैं |

तौकीर ने पीएम मोदी की तारीफ में पढ़े कसीदे

पहले की सरकारों में पत्थरबाजी और दंगे आम थे, लेकिन योगी जी की सरकार आने के बाद शांति है. जो पत्थर चलाता है, योगी जी उसे तबाह कर देते हैं. इसलिए मैं कहता हूं कि सिंहासन पर भगवे भेष में शेर बैठा है. वे सनातन धर्म के प्रति अपने सम्मान की बात करते हैं, लेकिन जोर देकर कहते हैं कि वे अपने इस्लाम धर्म को भी पूरी तरह मानते हैं. तौकरी ने बताया कि मोदी-योगी सबके लिए सोचते हैं, इसलिए मैं उनका समर्थक हूं |

लोग देते हैं तरह-तरह की यातनाएं

मिर्जापुर से विशेष रूप से लखनऊ आने का उद्देश्य बताते हुए तौकीर ने कहा कि मोदी और योगी के प्रति मेरी आस्था है. उनके दर्शन करने और पोस्टर दिखाने आया हूं. उनकी यह आस्था कितनी गहरी है, यह उनके सामाजिक बहिष्कार से झलकती है. वे कहते हैं कि लोग उन्हें तरह-तरह की यातनाएं देते हैं, लेकिन वे डटे हुए हैं. यह घटना उस समय सामने आई जब प्रधानमंत्री मोदी अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती पर ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ का उद्घाटन कर रहे थे |

जनसभा में मौजूद तौकीर जैसे समर्थक मोदी-योगी की लोकप्रियता को दर्शाते हैं, जो धार्मिक सीमाओं से परे जाती है. हालांकि, ऐसे समर्थन की कीमत भी चुकानी पड़ रही है. सामाजिक बहिष्कार और पारिवारिक संकट. तौकीर अहमद की कहानी बताती है कि राजनीतिक आस्था कितनी व्यक्तिगत हो सकती है और समाज में बदलाव की राह कितनी कठिन |