Urfi Javed:आज के समय में अपने कपड़ों की वजह से पहचानी जाने वाली उर्फी जावेद एक जमाने में बहुत डरी हुआ करती थी। लेकिन उर्फी ने पिंजरे में बंद पंछी की तरह उड़ने का सपना देखा था और उसी सपने का नतीजा है कि आज वह एक एक्ट्रेस और सोशल मीडिया सेंसेशन के तौर पर हमारे सामने खड़ी है। उर्फी ने अपने कई इंटरव्यूज में अपनी पिछली जिंदगी के बारे में खुलकर बात की है…लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक्ट्रेस अपना घर छोड़ने के बाद सबसे पहले क्या करना चाहती थीं? या उर्फी कभी एक्ट्रेस बनना चाहती थी या नहीं? तो आइए जानते हैं..
उर्फी जावेद के खुलासे से हर कोई हैरान..
उर्फी जावेद इन दिनों चित्रा वाघ के साथ चल रहे विवाद को लेकर सुर्खियों में हैं। जहां चित्रा वाघ ने उर्फी के कपड़ों को अश्लील बताते हुए एक्ट्रेस का मुंह तोड़ देने की धमकी दी थी। इसके बाद उर्फी ने आज थाने में चित्रा के खिलाफ अपना बयान दर्ज कराया है। ऐसे में उर्फी का बीते दिनों का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह अपनी जिंदगी के कुछ अनछुए पहलुओं को लेकर खुलासे कर रही हैं. इस इंटरव्यू में उर्फी ने खुलकर बताया कि पिछले 10 सालों में उन्होंने एक बार भी अपने पिता से बात नहीं की है। इतना ही नहीं, उन्होंने दावा किया है कि उनका एक ही सपना था कि वह अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीना चाहती हैं।
आज़ादी से जीना चाहती थी जिंदगी..
उर्फी का कहना है कि उनका यहां तक का सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है। कभी-कभी तो तीन महीने के काम के बदले जो पैसा मिलता था, उससे साल भर गुजारा करना पड़ता था। इसी बीच जब इंटरव्यूअर ने उनसे पूछा कि क्या उनके परिवार ने उन्हें सपोर्ट किया या नहीं… उर्फी ने कहा, ‘मेरे करियर की शुरुआत से ही मेरी मां और बहनों ने मेरा पूरा सपोर्ट किया है।’ इसके साथ ही उर्फी ने बताया कि एक्ट्रेस बनने का उनका कभी कोई सपना नहीं था। काम न मिलने के कारण वह मुंबई आ गई और फिर उसे लगा कि नौकरी से तो अच्छा है और फिर क्या था वह यहीं की रह गई।
इसके बाद उर्फी जावेद ने घर छोड़ने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया के बारे में खुलासा किया, जो सबसे चौंकाने वाला था। जब उर्फी से पूछा गया कि घर छोड़ने के बाद उनकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी? इसका जवाब देते हुए उर्फी जावेद ने कहा, ‘ये…दारू लेंगे पार्टी करेंगे। दरअसल, मैं यह सोच कर घर से निकला था कि मुझे अपनी जिंदगी जीनी है, मैं अपनी मर्जी से जीना चाहता हूं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे सफल होना है या कुछ बनना है..मैं बस अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीना चाहता था। सफलता वगैरह सब मेरे लिए गौण थी… मेरी पहली प्राथमिकता आज़ादी से जीने की थी।