नई दिल्ली: शुक्रवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देते हुए कहा कि दुनिया के 70 फीसदी बाघ भारत में हैं। वर्ष 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के 53 बाघ अभयारण्यों में इनकी संख्या 2967 है। कोर्ट को जानकारी दी गई कि बाघों की छह प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है।
केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रही एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ के समक्ष कहा कि बाघों के संरक्षण और उनकी आबादी बढ़ाने के लिए बहुत काम किया गया है।
एक स्थिति रिपोर्ट में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने कहा कि भारत दुनिया में 70 फीसदी से अधिक बाघों की आबादी का घर बन गया है। अखिल भारतीय बाघ अनुमान (2018) की एक व्यापक रिपोर्ट 29 जुलाई, 2020 को जारी की गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बाघों की 6 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर दिखाई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अखिल भारतीय बाघ अनुमान का पांचवां चक्र अभी चल रहा है और यह 2023 में पूरा हो जाएगा। यह स्थिति रिपोर्ट वर्ष 2017 में वकील अनुपम त्रिपाठी द्वारा याचिका याचिका के जवाब में दायर की गई है, जिसमें लुप्तप्राय बाघों को बचाने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि बाघों की संख्या देश में लगातार घट रही है।
शीर्ष अदालत ने एएसजी भाटी की दलीलें दर्ज करने के बाद मामले को मार्च में आगे की सुनवाई के लिए रख दिया, क्योंकि त्रिपाठी मौजूद नहीं थे। पीठ ने नोट किया कि 2018 की गणना के अनुसार, भारत में 53 बाघ अभयारण्यों में 2,967 बाघ हैं और यह संख्या वैश्विक संख्या का 70 फीसदी है और आंकड़े बाघों की वृद्धि की ओर इशारा करते हैं।