भोपाल। जीन संवर्धित (जीएम) सोयाबीन के बीजों को देश में अवैध रूप से लाने की कोशिश हो रही है। दि सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) ने प्रतिबंधित जीएम सोयाबीन के आयात की शिकायत केंद्रीय कृषि मंत्रालय से की है। सोपा ने न केवल जीएम सोयाबीन के आयात का आरोप लगाया है, बल्कि शिकायत के साथ शिपमेंट और कंटेनर की जानकारी भी भेजी है। सोपा ने आशंका जताई है कि देश में जीएम सोयाबीन को अवैध तरीके से दाखिल करवा दिया गया तो यह कृषि क्षेत्र, किसानों और जैव विविधता के लिए आपदा साबित हो सकती है। सोपा ने शिकायती पत्र के साथ सोयाबीन लादकर भारत आ रहे जहाज की जानकारी भेजी है। मंत्रालय में प्लांट प्रोटेक्शन और क्वारंटाइन विभाग का जिम्मा संभाल रहे संयुक्त सचिव प्रमोद कुमार को लिखित शिकायत की गई है। सोपा के अनुसार, देश में एमवी रूबी नाम के जहाज के जरिये 17 हजार 741 टन जीएम सोयाबीन की खेप मंगवाई जा रही है। यह खेप मुंबई बंदरगाह पहुंच रही है। सोपा ने आयात करने वाली कंपनी का नाम भी केंद्रीय सचिव तक भेजा है। सोपा के अनुसार, जीएम सोयाबीन का आयात पूरी तरह प्रतिबंधित है। देश की कृषि और जैव विविधता के लिए जीएम बीज बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं। इसी के चलते सरकार ने जीएम सोयाबीन के आयात को प्रतिबंधित कर रखा है। सोपा के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक के अनुसार, 5 दिसंबर 1989 में जीएम या जैव इंजीनियर्ड बीजों के आयात पर सरकार प्रतिबंध का कानून लागू कर चुकी है। कानून से बचने के लिए आयातक कंपनी ने दस्तावेजों में हेरफेर कर सोयाबीन के मूल देश को भी बदल दिया है।
दक्षिण अमेरिका की उपज, नाम अफ्रीका का
सोपा के अनुसार, जीएम सोयाबीन को देश में दाखिल करवाने के लिए इस खेप का उद्गम (ओरिजन) भी बदल दिया गया है। आयात के दस्तावेजों पर जानकारी दी गई है कि अफ्रीकी देश मोजाम्बिक से सोयाबीन आयात हो रहा है, जबकि असल में यह सोयाबीन दक्षिण अमेरिकी देशों से लाया जा रहा है। सोपा के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने नईदुनिया से बात करते हुए कहा कि अफ्रीकी देशों में सोयाबीन का उत्पादन नाममात्र का होता है। ऐसे में जब अफ्रीका से सोयाबीन आयात होता है तो वह कुछ कंटेनर और 100-200 टन से ज्यादा नहीं होता। ताजा खेप 17 हजार 741 टन का पूरा जहाज सोयाबीन से भरा है, जो अफ्रीका से संभव नहीं है। दक्षिण अमेरिकी देश में जीएम सोयाबीन पैदा होती है। उस क्षेत्र के देश ब्राजील और अर्जेंटीना विश्व के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक हैं।
टैक्स-ड्यूटी की भी चोरी
सोपा के अनुसार, सिर्फ नान जीएम सोयाबीन के आयात की अनुमति देश में है। दरअसल, अफ्रीकी देशों से व्यापार करार के तहत वहां से सोयाबीन आयात करने पर शून्य प्रतिशत ड्यूटी लागू होती है, लेकिन विश्व के किसी अन्य भाग से सोयाबीन आयात हो तो उस पर 45 प्रतिशत ड्यूटी चुकानी होगी। ऐसे में ताजा मामले में वैसल (जहाज) को अफ्रीका से डायवर्ट करवाकर इस सोयाबीन का ओरिजन बदलने से उसे न केवल नान जीएम घोषित कर दिया गया, बल्कि टैक्स चोरी भी की गई। दरअसल, अफ्रीकी देशों में जीएम सोयाबीन नहीं उगाई जाती।
सोयाबीन की खेप की करें जांच
सोपा के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डीएन पाठक का कहना है कि जीएम सोयाबीन भारत पहुंची तो देश की कृषि और जैव विविधता के लिए आपदा साबित होगा। किसी तरह के अवांछित खरपतवार, बीज या सूक्ष्म परजीवी देश में दाखिल हो सकते हैं। कभी इसी तरह विदेश से गाजरघास देश में पहुंची थी। हमने शिकायत की है। अब विदेश व्यापार महानिदेशालय के साथ ही एफएसएसएआई और कस्टम की जिम्मेदारी है कि वे सोयाबीन की खेप की जांच करें।