मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए बड़ी सौगात दी है। अब ऐसे छात्र-छात्राओं को हर परीक्षा के लिए अलग-अलग परीक्षा और रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं देना होगा। एक बार ही रजिस्ट्रेशन होगा और परीक्षा शुल्क भी एक बार ही चुकाना होगा। यह आदेश एक साल के लिए लागू किया गया है।
सिविल सर्विस डे के अवसर पर मध्यप्रदेश सरकार ने यह राहत परीक्षार्थियों को दी है। आदेश के मुताबिक मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल के माध्यम से आयोजित समस्त परीक्षाओं में उम्मीदवारों को अब एक बार में प्रोफाइल रजिस्ट्रेशन करना होगा। उसके बाद पहली परीक्षा में आवेदन भरने के समय उसे निर्धारित परीक्षा और पोर्टल शुल्क देना होगा। उसके बाद किसी भी अन्य परीक्षा के लिए आवेदन भरते समय परीक्षा शुल्क नहीं देना होगा। आवेदन भरते समय सिर्फ एमपी ऑनलाइन का निर्धारित पोर्टल शुल्क ही देय होगा। यह आदेश एक साल के लिए लागू किया गया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को युवा महापंचायत में यह घोषणा की थी। इसके बाद कुछ ही दिन पहले महापंचायत में किए गए फैसलों का रिव्यू भी किया था। उन्होंने कहा था कि बेरोजगार युवकों से प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए वन टाइम परीक्षा शुल्क लेने का फैसला उन्हें आर्थिक बोझ से बचाएगा। कर्मचारी चयन बोर्ड से इस वर्ष अलग-अलग शासकीय विभागों में विभिन्न पदों की भर्ती के लिए प्रक्रिया अपनाई जा रही है। आवेदकों को वन टाइम परीक्षा शुल्क और रजिस्ट्रेशन की सुविधा मिलने से परेशानी से भी निजात मिलेगी।
सभी वर्गों के लिए लागू होगा नया नियम
मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल अलग-अलग विभागों के लिए परीक्षाओं का आयोजन करता है। इसके लिए हर परीक्षा का अलग परीक्षा शुल्क वसूला जाता है। इसी व्यवस्था के खिलाफ छात्रों ने कई बार आवाज उठाई। युवा महापंचायत में शिवराज सिंह चौहान ने इन मांगों को गंभीरता से लिया और फैसला सुनाया था। नई व्यवस्था का लाभ सभी वर्गों के उम्मीदवारों को समान रूप से मिलेगा। पिछले साल की बात करें तो वन विभाग, पुलिस भर्ती, शिक्षा विभाग समेत अन्य विभागों की परीक्षाओं का आयोजन किया गया था। सामान्य वर्ग के किसी उम्मीदवार ने यदि सभी परीक्षाओं में भाग लिया है तो उसे कम से कम चार हजार रुपये का भुगतान करना पड़ा। नई व्यवस्था में उम्मीदवारों का खर्च बचेगा।