Saturday, November 9, 2024
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यहां है अजीब परंपरा, मोटे होने के लिए खून पीते हैं यहां के लोग

दुनिया में कई तरह की जनजातियां पाई जाती हैं। इन जनजातियों के खानपान और रहन-सहन बिल्कुल अलग होते हैं। जनजातियां आज भी हजारों साल पूरानी परंपराओं का पालन करती हैं। यह जहां पर रहती हैं, वहां पर इनका पूरा अधिकार होता है। देश की सरकारें भी इनके अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं करती हैं। दुनिया में पाई जाने वाली जनजातियों में से एक इथियोपिया में रहने वाली बोदी जनजाति भी है। यह जनजाति एक बेहद अजीबगरीब परंपरा का पालन करती है। इस परंपरा के बारे में जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। दुनिया में हर कोई सुंदर दिखना चाहता है और इसके लिए लोग कई तरह के उपाय अपनाते हैं, लेकिन इथियोपिया की बोदी जनजाति में सबसे मोटे शख्स को हीरो माना जाता है।

दरअसल ओमो वैली में रहने वाली बोदी जनजाति की कहानी किसी रोमांचकारी फ‍िल्‍म से कम नहीं. इन्‍हें मूल रूप से इथियोपिया का निवासी माना जाता है.दुनिया और समाज से बिल्‍कुल कटे रहने के बावजूद यह लोग अपनी परंपराओं से बिल्‍कुल भी समझौता नहीं करते. इनके यहां एक खास तरह की प्रत‍ियोगिता होती है, जिसे कैल करते हैं. इसी के जर‍िए सबसे मोटे व्‍यक्‍त‍ि का चयन किया जाता है और अंत में वही नायक चुना जाता है. उसी पर समाज को सही दिशा निर्देश देने की जिम्‍मेदारी होती है.

सिर्फ अव‍िवाह‍ित पुरुष लेते हिस्‍सा

प्रत‍ियोगिता में सिर्फ अव‍िवाहित पुरुष ही हिस्‍सा ले पाते हैं. उन्‍हें 6 महीने तक एक अलग कमरे में रखा जाता है. खूब खाने-पीने का सामान दिया जाता है ताकि वे मोटे हो सकें. ये लोग 6 महीने तक दूध में गाय का खून मिलाकर पीते हैं. क्‍योंकि इनका मानना है कि इससे वे जल्‍दी मोटे हो जाएंगे. इस दौरान फ‍िजिकल रिलेशन बनाने की अनुमत‍ि नहीं है.पूरे छह महीने तक हर पुरुष को यही खाना दिया जाता है.

2 लीटर तक खून पी जाता एक शख्‍स

आप जानकर हैरान होंगे कि चिलचिलाती गर्मी की वजह से हर पुरुष करीब 2 लीटर दूध और खून पी जाता है. पहला कटोरा सूर्योदय के समय दिया जाता है. खून पीने के बाद कोई उल्‍टी नहीं कर सकता. प्रत‍ियोगिता के दिन सभी पुरुष अपने शरीर को मिट्टी और राख से ढंक लेते हैं ताकि कोई उनकी सेहत पर नजर न लगाए. वहां पहुंचकर सबसे पहले इन्‍हें एक पवित्र पेड़ के चारों ओर चक्कर लगाना होता है. अन्‍य पुरुष उनकी निगरानी करते हैं और मह‍िलाएं शराब प‍िलाती और पसीना पोंछती हैं. चयन के बाद एक बल‍ि दी जाती है. प्रत‍ियोगिता की वजह से बोदी जनजाति के पुरुष इतने मोटे हो जाते हैं कि उनका चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है. वे कहीं भी बैठ नहीं पाते. लेकिन एक बार प्रत‍ियोगिता खत्‍म होने के बाद इनका जीवन फ‍िर सामान्‍य हो जाता है

जनजाति में गाय को माना जाता है पवित्र

बोदी जनजाति में गाय को बेहद पवित्र माना जाता है। इसकी वजह से गाय की हत्या नहीं की जा सकती है। गाय की नस को काटकर खून निकाला जाता है और फिर मिट्टी से उसे बंद किया जाता है। यह खास ख्याल रखा जाता है कि गाय की जान को खतरा न हो। खून और दूध के मिश्रण को जमने से पहले पीना होता है। प्रतियोगिता के दिन झोपड़ी से बाहर आने से पहले पुरुष शरीर को मिट्टी और राख से ढक लेते हैं।

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