पितृ पक्ष 2023: हिंदू धर्म में जीवन मरण के बारे में कई बातों को बताया गया है। व्यक्ति के जन्म के बाद मृत्यु ही सबसे बड़ी सच्चाई है। हिंदू धर्म में मृत्यु से जुड़ी बातों के बारे में गरुड़ पुराण में बताया गया है। पितृ पक्ष में पितरों की पूजा अर्चना पूरे विधि-विधान से होती है। इससे पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है । लेकिन कई बार लोगों द्वारा की गई कुछ गलतियों से पितरों का अपमान हो जाता है।इससे पितृदोष का खतरा रहता है। कहा जाता है कि किसी भी मृतक इंसान की चीजों का इस्तेमाल उनके जाने के बाद नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि कुछ लोग तो ऐसा नहीं करते हैं लेकिन जो करते हैं वह पितृ दोष का शिकार हो जाते हैं। जी हां, मृतक व्यक्ति के सामानों का इस्तेमाल करने से पितृ दोष लग सकता हैं। पितृ दोष को सबसे खतरनाक माना जाता है। ज्योतिषों की माने तो कालसर्प दोष के बाद अगर कोई दोष सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है तो वह है पितृ दोष । ये श्राप की तरह काम करता है। सनातन में पितरों की देवी देवताओं जैसी अहमियत है। अमावस्या के दिन पितरों को याद कर उनके निमित्त श्रद्धा और तर्पण किया जाता है।
भूलकर भी न करें इन तीन चीजों का इस्तेमाल
कलाई में बांधने की चीज
ज्योतिष शास्त्र में माना गया है कि मृत व्यक्ति के कपड़ों इस्तेमाल या उन्हें धारण नहीं करना चाहिए। इससे भी व्यक्ति को पितृ दोष का सामना करना पड़ सकता है। इसके स्थान पर आप उन कपड़ों को दान कर सकते हैं। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। गरुड़ पुराण के अनुसार घर परिवार में किसी की मृत्यु के बाद उसके द्वारा कलाई पर पहनी चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसी चीजों को पहनने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है। कलाई पर पहनने की चीजों में मुख्य रूप से घड़ी और कड़ा होता है आपको किसी भी मृत व्यक्ति की इन चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
इस तरह करें गहनों का उपयोग
पितरों को गहनों का इस्तेमाल करना भी शुभ नहीं माना जाता। ऐसा करने से व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके स्थान पर आप उन गहनों से नया गहना बनवाकर उपयोग कर सकते हैं।
मृतक की घड़ी का क्या करें
ज्योतिष शास्त्र में इस बात का वर्णन मिलता है कि कभी भी मरने वाले व्यक्ति की घड़ी का इस्तेमाल खुद के लिए नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को पितृ दोष के बुरे परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। इसके स्थान पर आप मृतक व्यक्ति की घड़ी को दान कर दें या मिट्टी में गाढ़ दें।
धार्मिक दृष्टि से पितृ पक्ष एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवधि मानी गई है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है साथ ही इसका समापन आश्विन माह की अमावस्या तिथि को होता है जिसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हुई थी। जिसका समापन 14 अक्टूबर को होने जा रहा है।