Mahabharat Facts: महाभारत काल में कई ऐसे बड़े-बड़े योद्धा हुए, जिनके चर्चे आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं. इसी प्रकार इस दौर की कई ऐसी घटनाएं हैं, जिनको सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. ऐसी ही एक घटना है पांडव पुत्र सहदेव की है. महाभारत कथा के अनुसार पांडवों के सबसे छोटे भाई सहदेव ने अपने पिता पांडु का मस्तिष्क खा लिया था.
जी हां, यह घटना ग्रंथों के अनुसार एकदम सत्य है. इस घटना के बारे में कहा जाता है कि जब पांडवों के पिता महाराज पांडु मृत्युशैया पर थे तो उन्होंने अपने पुत्रों से अपना मस्तिष्क खाने को बोला, जिससे उनके पास जो भी ज्ञान है, वह उनके पुत्रों की पास चला जाए. इस पर उनका अधिकतर पुत्र राजी नहीं हुए, लेकिन सहदेव इसके लिए राजी हो गए. राजी होने के कारण सहदेव ने पांडु का मस्तिष्क खा लिया था.
महाराज पांडु को मिला था श्राप
महाराज पांडु की दो पत्नियां कुंती और माद्री थीं. राजा पांडु को ऋषि किंदम ने श्राप दिया था कि अगर वह किसी भी स्त्री के साथ समागम करेंगे तो उसी दौरान उनकी मृत्यु हो जाएगी. इसी कारण पांडु ने कभी भी अपनी पत्नी कुंती और माद्री से संबंध नहीं बनाए थे. कुंती ने अर्जुन, भीम और युद्धिष्ठिर को देवताओं के आह्वान और माद्री ने मंत्र विद्या से पुत्र नकुल और सहदेव को प्राप्त किया था.
नहीं रहा संयम
एक कथा के अनुसार पांडु ने हमेशा संयम का पालन किया और किसी भी स्त्री के समागन नहीं किया. वहीं, एक बार वे अपनी पत्नी माद्री को देखकर कामाशक्त हो गए तो उन्होंने माद्री को गले लगा लिया. माद्री को गले लगाते ही पांडु की मृत्यु निकट आ गई. मृत्यु को अपने पास देखकर पांडु ने अपने पांचों पुत्रों को बुलाकर कहा कि वे उनका मस्तिष्क खा लें. राजा पांडु की बात सुनकर सभी पुत्र हैरान हो गए और किसी ने भी उनका मस्तिष्क खाना स्वीकार नहीं किया, लेकिन उनके सबसे छोटे बेटे सहदेव ने यह स्वीकार किया.
पांडु के पास था ज्ञान का भंडार
राजा पांडु के पास ज्ञान का भंडार था. वे त्रिकालदर्शी थे. इस कारण जैसे ही सहदेव ने अपने पिता का दिमाग खाया वैसे ही उनको भूत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञान हो गया. राजा पांडु यही चाहते थे कि उनका ज्ञान उनके पुत्रों को मिल जाए.