Wednesday, October 16, 2024
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केरल हाईकोर्ट: नाबालिग के सामने नग्न अवस्था में सेक्स करना POCSO के तहत अपराध है, केरल हाई कोर्ट का फैसला

केरल। केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि नाबालिग के सामने नग्न अवस्था में सेक्स करना पोक्सो के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। हाईकोर्ट ने कहा है कि इस अपराध में सजा भी दी जा सकती है।

हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक ऐसे मामले की सुनवाई करते हुए की जिसमें नाबालिग ने अपनी मां और एक अन्य व्यक्ति को सेक्स करते हुए देखा था। इस मामले की सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट के जस्टिस ए बदरुद्दीन ने पोक्सो एक्ट की धारा 11 (आई) और 12 का हवाला दिया। उन्होंने कहा, “सरल शब्दों में कहें तो जब कोई व्यक्ति किसी बच्चे को नग्न अवस्था में शव दिखाता है, तो यह बच्चे का यौन उत्पीड़न करने के लिए किया गया कृत्य है और इसलिए यह पोक्सो की धारा 12 के साथ-साथ 11 (आई) के तहत भी दंडनीय अपराध होगा।”

अदालत ने आगे कहा, “इस मामले में आरोप है कि आरोपी ने कमरे को बंद किए बिना नग्न अवस्था में यौन संबंध बनाए और नाबालिग को कमरे में आने दिया ताकि वह यह सब देख सके। ऐसे में प्रथम दृष्टया यह मामला पोक्सो अधिनियम की धारा 12 के साथ धारा 11 (आई) के तहत दंडनीय अपराध बनता है।” सुनवाई के दौरान केरल हाईकोर्ट ने आरोपी व्यक्ति को नाबालिग की पिटाई का दोषी तो माना लेकिन उसे किशोर न्याय अधिनियम की धाराओं से छूट दे दी। नाबालिग से दुर्व्यवहार के इस मामले में हाईकोर्ट ने नाबालिग की मां को ही आरोपी माना है। नाबालिग की मां के खिलाफ पोक्सो के अलावा इस धारा के तहत भी मामला दर्ज किया जाएगा।

क्या था मामला?

महिला और उसके साथी पुरुष तिरुवनंतपुरम के एक लॉज में नग्न हो कर सेक्स कर रहे थे, इस दौरान दरवाजा खुला रहने दिया जिससे महिला के 16 वर्षीय बेटे ने दोनों को इस स्थिति में देख लिया। महिला अपने पुरुष साथी के साथ निश्चिंत होकर संबंध बना सके उसके लिए उसने अपने बेटे को पहले ही कुछ सामान लेने भेज दिया था।

जब वह वापस लौटा तो उसने माँ को व्यक्ति के साथ नग्न आपत्तिजनक हालत में देखा। जब उसने इस संबंध में प्रश्न खड़े किए तो महिला के पुरुष साथी ने नाबालिग को धमकाया और पीटा भी। साथी ने उसके बेटे को थप्पड़ मारा, गर्दन से पकड़ा और बुरी लाते भी मारी। हैरानी की बात तो यह थी की नाबालिग को पीटता देख उसकी माँ ने भी नहीं रोका।

इस घटना के चलते महिला और उसके पुरुष मित्र पर POCSO, किशोर न्याय अधिनियम समेत IPC की कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया। यह मामला तिरुवनंतपुरम के ईस्ट फोर्ट थाने में दर्ज हुआ। कार्रवाई से बचने के लिए पुरुष आरोपित ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी।

आरोपी ने इस मामले में सभी कार्यवाही को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी। हालांकि, सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी को राहत देने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 294 (बी), 341 और 34 के साथ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 75 के तहत की गई कार्रवाई को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 के साथ 34 और पोक्सो के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।

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