पेटिकोट कैंसर: कैंसर एक गंभीर बीमारी है जो किसी को भी अपना शिकार बना सकती है। खासकर भारत में लोग तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। यह बीमारी अक्सर देर से पता चलने और सही इलाज के अभाव में जानलेवा बन सकती है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए सबसे जरूरी है आप अपनी लाइफस्टाइल ठीक करें. हेल्दी और पोष्टिक खाना खाएं. एक्टिव लाइफस्टाइल रखें. एक जगह घंटों तक बैठे न रहें. आप जितना एक्टिव रहेंगे वह आपके शरीर के लिए फायदेमंद है.
हाल ही में हुए एक शोध ने चौका दिया कि किसी महिला को साड़ी पहनने से कैंसर हो गया? साड़ी पहनना हर भारतीय महिला का शौक होता है, जी हां एक नए शोध में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं जो आपको साड़ी पहनने के तरीके के बारे में सोचने पर मजबूर कर देंगे. बिहार और महाराष्ट्र के डॉक्टरों ने एक चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि साड़ी के साथ पहने जाने वाले पेटीकोट को कसकर पहनने से आपको त्वचा कैंसर हो सकता है. जानिए कैसे ऐसा हो सकता है और रिसर्च से जुड़ी जरूरी बातें।
वर्धा (महाराष्ट्र) के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और बिहार के मधुबनी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के डॉक्टरों ने कैंसर से पीड़ित दो महिलाओं का इलाज करने के बाद चेतावनी देते हुए कहा कि पारंपरिक रूप से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में साड़ी के नीचे पहने जाने वाले अंडरस्कर्ट (पेटीकोट) के कसकर बांधे जाने के कारण लगातार घर्षण होता है. जिससे त्वचा में सूजन आ सकती है. कई बार ऐसे में छाले हो सकते हैं और कुछ मामलों में त्वचा कैंसर भी हो सकता है. इसको पहले ‘साड़ी कैंसर’ के नाम से संबोधित किया गया था, लेकिन डॉक्टरों ने बीएमजे केस रिपोर्ट्स में प्रकाशित अध्ययन में बताया कि कमर की डोरी की कसावट ही इसके लिए जिम्मेदार है, और इसलिए इसे ‘पेटीकोट कैंसर’ का नाम दिया गया.
कैसे हुआ ‘पेटिकोट कैंसर’ का अध्ययन
पहले मामले में 70 वर्षीय महिला ने मेडिकल हेल्प मांगी थी क्योंकि उसके दाहिने हिस्से पर 18 महीने से त्वचा का दर्दनाक अल्सर था जो ठीक नहीं हो रहा था. आस-पास की त्वचा ने भी अपना रंग खो दिया था. यह महिला शुरू से ही साड़ी पहना करती थी. डॉक्टरों ने महिला की बायोप्सी की, जिसके बाद पता चला कि महिला को मार्जोलिन अल्सर था, जिसे स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (अल्सरेटेड स्किन कैंसर) भी कहा जाता है.
डॉक्टरों का क्या कहना?
डॉक्टरों ने बताया कि मार्जोलिन अल्सर आमतौर पर कम देखने को मिलता है. मगर यह बेहद ही खतरनाक होता है. यह पुराने जलने के घावों, न भरने वाले घावों, पैर के अल्सर, तपेदिक त्वचा गांठ और टीकाकरण और सांप के काटने से बने जख्मों में विकसित हो सकता है. डॉक्टरों ने कहा कि हालांकि अभी भी इस चीज का पता नहीं चल पाया है कि आखिर किस प्रकार अल्सर या घाव घातक बन जाते हैं. उन्होंने कहा कि कमर पर लगातार दबाव के कारण अक्सर त्वचा कमजोर हो जाती है, जिससे घाव या छाले बन सकते हैं.
कश्मीरी कांगरी कपड़े और टाइट जींस से भी होता है कैंसर
कश्मीर में कांगरी कपड़े के अंगर लोग आग जला कर रख लेते हैं इसके कारण भी स्किन में गर्मी लगती है और स्किन कैंसर का खतरा बढ़ता है. इसके साथ ही टाइट जींस पहनने के कारण कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ता है. साथ ही प्राइवेट पार्ट को भी नुकसान पहुंचता है.
ऐसे कर सकते हैं बचाव
हालांकि, भारतीय महिलाओं को यह सलाह देना कि वे साड़ी पहनना छोड़ दें, तो गलत होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, ढीले कपड़े पहनें, साड़ी बांधने के तरीके को थोड़ा लचीला करें व पेटीकोट की डोरी को ज्यादा कसने से बचें ताकि कैंसर के जोखिम को कम किया जा सके। इसके अलावा, लाइफस्टाइल को बदलें, खान-पान का ध्यान रखें, पौष्टिक चीजों का सेवन करें, एक्टिव रहें और पूरे दिन एक जगह न बैठें। HPV वैक्सीन लगवाएं, समय-समय पर कैंसर स्क्रीनींग करवाना भी फायदेमंद है।
टाइट कपड़े न पहनें
विशेषज्ञों ने कहा कि यह अल्सर अक्सर तंग कपड़ों के कारण लगातार दबाव के चलते पूरी तरह से ठीक नहीं होता है. एक पुराना घाव बन जाता है, जो आगे चलकर खतरनाक हो सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट त्वचा पर दबाव को कम करने के लिए साड़ी के नीचे एक ढीला पेटीकोट पहनने की सलाह देते हैं और यदि त्वचा संबंधी समस्याएं विकसित होती हैं तो उस क्षेत्र को ठीक करने के लिए ढीले कपड़े पहनने की सलाह देते हैं.
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