जयपुर: राजस्थान में पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा संचालित इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना का नाम बदल दिया गया है. भजनलाल सरकार ने इस योजना का नाम बदलकर मुख्यमंत्री शहरी रोजगार गारंटी योजना कर दिया है. सरकार ने नाम के साथ-साथ लोगो भी बदल दिया है. इस योजना के जरिए सरकार शहरी क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को हर साल 100 दिन का रोजगार मुहैया कराती है. जिसके लिए राजस्थान सरकार हर साल 800 करोड़ रुपये खर्च करती है।
आपको बता दें कि इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2022-2023 के बजट भाषण में की थी. ताकि स्थानीय निकाय क्षेत्र में रहने वाले 18 वर्ष से 60 वर्ष की आयु के लोग जन आधार कार्ड रजिस्टर्ड कराकर 100 दिन का रोजगार पा सकें।
करना होता हैं यह काम
मुख्यमंत्री शहरी रोजगार गारंटी योजना का उद्देश्य लोगों को रोजगार मुहैया कराना है. जिसमें 18 से 60 वर्ष की आयु के शहरी लोगों को 100 से 125 दिन का रोजगार दिया जाना है. वहीं, महामारी या आपदा जैसी विशेष परिस्थितियों, प्रवासी मजदूरों को भी इसमें शामिल किया गया है। इस योजना के तहत लोगों को शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी), वन, बागवानी और कृषि विभागों के तहत सार्वजनिक स्थानों पर पेड़ लगाने, पार्कों का रखरखाव करने, फुटपाथ और डिवाइडर पर पौधों को पानी देने, नर्सरी तैयार करने जैसे काम दिए जाते हैं। सरकार को योजना के तहत 15 दिनों के भीतर श्रमिकों के बैंक खातों में भुगतान करना होता है।