हरियाणा: बुधवार को अमेरिका से डिपोर्ट होकर 104 भारतीय भारत पहुंचे हैं, जिसमें हरियाणा के 33 लोग भी शामिल हैं. करनाल और कुरुक्षेत्र के भी इसमें करीब एक दर्जन लोग शामिल हैं. अमेरिका से डिपोर्ट हुए कुरुक्षेत्र के इस्माईलाबाद कस्बे में रहने वाले रॉबिन हांडा ने बताया कि वह 45 लाख रुपए लगाकर अमेरिका गए थे. इन पैसों को इकट्ठा करने के लिए उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन भी बेची थी. अमेरिका भेजने के दौरान एजेंट ने उन्हें एक महीने में अमेरिका पहुंचाने की बात कही थी, लेकिन रॉबिन 7 महीने बाद अमेरिका पहुंचे थे. उन्हें डंकी रूट से अमेरिका भेजा गया था. इस दौरान वह जंगल, समुद्र समेत कई जगहों से होते हुए अमेरिका पहुंचे थे. जब वह डंकी रूट पर थे तब उनके साथ काफी बुरा व्यवहार किया जाता था. उनको प्रताड़ित किया जाता था और परिवार से पैसे मंगवाने के लिए बोला जाता था.
डंकी रूट से पहुंचे थे अमेरिका
कई-कई दिनों तक इनको भूखा रखा जाता था. इतना ही नहीं इनको बिजली के करंट के झटके भी दिए जाते थे. रॉबिन जब जंगल से होते हुए डंकी रूट से अमेरिका जा रहे थे. इस दौरान उन्हें वहां पर लोगों के गले सड़े शव देखे जो घर से तो अमेरिका जाने के लिए निकले थे, लेकिन वह बीच सफर में ही मर गए. रोबिन हांडा ने बीते साल बारहवीं क्लास पास की थी. 18 जुलाई 2023 को रोबिन विदेश के लिए रवाना हुए थे.
सैन्य विमान से पहुंचे अमृतसर
22 जुलाई को दिल्ली से मुंबई पहुंचाया गया. वहां से गुयाना, ब्राजील और पेरू भेजा गया. इसके बाद समुद्र के रास्ते से ब्राजील ले जाया गया. पीड़ित के पिता मनजीत हांडा ने बताया कि काफी दिनों से बेटे से बातचीत होनी भी बंद हो चुकी थी. परिवार उस समय सन्न रह गया जब पता चला कि सैन्य विमान रोबिन को लेकर अमृतसर हवाई अड्डे पर पहुंच गया. रॉबिन हांडा और उसके परिवार ने अपनी दुख भरी कहानी बताई है.
हमें लाखों का नुकसान हुआ
पिता ने बताया कि जो सपने संजों कर बेटे को अमेरिका भेजा था वह अधूरे रह गए हैं. हमें लाखों का नुकसान हो गया है. यह अकेले रॉबिन की कहानी नहीं है. यह हरियाणा के करीब 33 लोगों की कहानी है, जो अपनी जमीन और घर बेचकर अमेरिका गए थे. हालांकि अब इन्हें डिपोर्ट कर दिया गया है.