घर खरीदें या किराए पर रहें: जानिए कौन सा फैसला है फायदे का सौदा क्या है सही फैसला

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घर खरीदें या किराए पर रहें : हर इंसान का सपना होता है कि उसका खुद का एक घर हो—एक ऐसी जगह जो ना सिर्फ सुरक्षित हो, बल्कि सुकून भी दे। यह सिर्फ एक प्रॉपर्टी नहीं होती, बल्कि भविष्य की सुरक्षा और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक बन जाती है। मगर सवाल ये उठता है: क्या मौजूदा समय में घर खरीदना समझदारी है, या किराए पर रहना ही बेहतर विकल्प है? यह फैसला कई चीजों पर निर्भर करता है—आपकी मौजूदा वित्तीय स्थिति, भविष्य के लक्ष्यों और रियल एस्टेट मार्केट की चाल पर। घर खरीदने का मतलब अक्सर बड़ा लोन लेना होता है, जो लंबे समय तक आपकी जेब पर असर डाल सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप फायदे और नुकसान दोनों पक्षों को समझें।

ठोस प्लानिंग और सही समय पर फैसला ही आपके सपनों के घर को हकीकत में बदल सकता है। चाहें किराए पर रहें या खरीदने का कदम उठाएं—अहम बात यह है कि आपका फैसला आपके जीवन को बेहतर बनाए। अगर चाहें तो हम आपके बजट और जरूरतों के हिसाब से एक छोटा सा निर्णय-मैप बना सकते हैं!

पहले खुद से पूछें ये सवाल

  • पहले डाउन पेमेंट, टैक्स, इंस्टॉलमेंट और फिर मेंटेनेंस। क्या मैं घर खरीदने की पूरी कीमत चुका सकता हूं।
  • अगर होम लोन की ब्याज़ दर अचानक बढ़ जाए या नौकरी चली जाए, तो बैकअप क्या है?
  • क्या मैं इस शहर या इस सोसाइटी में 5 साल से ज्यादा रहने वाला हूं?

किराए से रहना कब समझदारी?

कई बार किराए पर रहना ज़्यादा समझदारी होती है। अगर आपके पास घर की कीमत का कम से कम 15-20% डाउन पेमेंट नहीं है, तो थोड़ा रुककर और बचत करना बेहतर हो सकता है। अगर आपका क्रेडिट स्कोर 700 से कम है, तो लोन की ब्याज़ दर ज़्यादा हो सकती है, जिससे घर खरीदना महंगा पड़ सकता है। अगर आपके पास 6 महीने के खर्चों जितना इमरजेंसी फंड नहीं है, तो घर खरीदना जोखिम भरा हो सकता है। अगर आपकी नौकरी या शहर बदलने की संभावना है, या प्रॉपर्टी की कीमतें और ब्याज़ दरें बहुत ज़्यादा हैं, तो किराए से रहना ज्यादा सही होता है।

कब है घर खरीदना सही?

घर खरीदना तब सही है जब आपके पास डाउन पेमेंट और रजिस्ट्रेशन, इंटीरियर्स, शिफ्टिंग जैसे खर्चों के लिए पर्याप्त रुपए पैसे हों। अगर आपको अच्छी ब्याज़ दर पर लोन मिल रहा है और नौकरी-आय में स्थिरता है, तो ये सही वक़्त हो सकता है। लंबे समय तक एक ही जगह रहने की योजना हो, तो खरीदना फायदेमंद है। अगर आपका किराया और EMI लगभग बराबर है, तो किराए की जगह अपनी संपत्ति बनाना बेहतर है। पहली बार घर खरीदने वालों को Pradhan Mantri Awas Yojana और स्टांप ड्यूटी में छूट जैसी सरकारी योजनाओं का फायदा भी मिल सकता है।

घर खरीदने के फायदे 

  • हर EMI से आप अपने घर का मालिकाना हक बनाते हैं। किराया तो बस खर्च है।
  • प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ सकती है, खासकर डेवलपिंग इलाकों में।
  • फिक्स्ड-रेट लोन में EMI स्थिर रहती है, जबकि किराया हर साल बढ़ता है।
  • इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C और 24(b) के तहत टैक्स छूट मिलती है।
  • अपना घर होने की भावनात्मक संतुष्टि और उसे सजाने-संवारने की आज़ादी मिलती है।

घर खरीदने के नुकसान

  • डाउन पेमेंट, रजिस्ट्रेशन, फर्निशिंग, मूविंग जैसे बड़े शुरुआती खर्च।
  • नौकरी या लाइफस्टाइल के लिए जगह बदलना मुश्किल हो जाता है।
  • मेंटेनेंस, सोसाइटी चार्ज और रिपेयर का खर्चा बढ़ जाता है। 
  • होम लोन का 20 साल तक का लंबा कमिटमेंट, जो कैश फ्लो पर दबाव डाल सकता है।
  • अगर इलाका डेवलप न हुआ, तो प्रॉपर्टी की वैल्यू नहीं बढ़ेगी।

किराए पर रहने के फायदे

  • नया शहर, बड़ा-छोटा घर, ज़रूरत के हिसाब से बदलाव आसान होता है।
  • शुरुआती खर्चा कम, सिर्फ 2-3 महीने का सिक्योरिटी डिपॉज़िट देना होता है।
  • बड़ा मेंटेनेंस और रिपेयर मकान मालिक की ज़िम्मेदारी होती है।
  • किराए से आप प्रीमियम इलाकों में रह सकते हैं, जो खरीदना मुश्किल होता है।
  • पैसे बचाकर म्यूचुअल फंड्स या शेयरों में निवेश कर सकते हैं।

किराए पर रहने के नुकसान

  • कोई प्रॉपर्टी नहीं बनती। आप बस मकान मालिक का लोन चुकाते हैं।
  • किराया हर साल बढ़ता है।
  • मकान मालिक प्रॉपर्टी बेच सकता है या लीज रिन्यू नहीं कर सकता।
  • आपके पेट्स, मेहमान या फिर घर की सजावट पर पाबंदियां हो सकती हैं।
  • टैक्स छूट सिर्फ HRA तक सीमित। बाकी बड़े फायदे नहीं मिलते।

आखिर करें तो करें क्या?

अगर आप अभी घर खरीदने को लेकर कन्फ्यूज्ड हैं, तो एक स्मार्ट रास्ता ये है कि सस्ते किराए के घर में रहें। साथ ही, अपने सपनों के घर की डाउन पेमेंट के लिए निवेश करें। म्यूचुअल फंड्स या SIP में पैसा डालकर पूंजी बनाएं। इसके अलावा जहां आप रह रहे हैं, वहां के रियल एस्टेट मार्केट को समझें।

अगर अब भी आपके मन में डाउट की है कि घर खरीदें या किराए पर रहें तो आप अपनी फाइनेंशियल कंडीशन और ज़िंदगी की ज़रूरतों को देखकर ही फैसला लें, ताकि आपकी लाइफस्टाइल और वेल्थ-बिल्डिंग दोनों का फायदा हो।