अगर आप भारत से बाहर की यात्रा करते रहते हैं और दूसरे देश में क्रेडिट कार्ड (Credit Card) का इस्तेमाल करते हैं, तो अब आपको किसी अन्य देश में इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड से खर्च करने पर 20 फीसदी का टैक्स देना होगा. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से परामर्श के बाद केंद्र सरकार ने विदेशों में क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल पर सोर्स पर टैक्स कलेक्शन (Tax Collection at Source) लगाने का फैसला किया है.
1 जुलाई से लागू होगा नया नियम
सरकार द्वारा लिया ये बड़ा फैसला 1 जुलाई 2023 से प्रभावी माना जाएगा. यानी साफ है कि फॉरेन विजिट पर इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल अब आपकी जेब का बोझ बढ़ाने वाला साबित होने वाला है. वित्त मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में टीसीएस रेट (TCS Rate) को 5 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया है. इसमें कहा गया कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन (चालू खाता लेन-देन) (संशोधन) नियम, 2023 में एक जुलाई 2023 से लिबरेलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड भुगतान शामिल होंगे.
फेमा के नियमों में किया गया ये संशोधन
मंत्रालय ने गत मंगलवार को ही इस संदर्भ में एक अधिसूचना जारी कर फेमा कानून में संशोधन किए जाने की जानकारी दी थी. इस अधिसूचना में एलआरएस को शामिल करने के बाद 2.5 लाख रुपये से अधिक मूल्य की विदेशी मुद्रा के किसी भी धन-प्रेषण के लिए आरबीआई की मंजूरी लेनी जरूरी होगी. इस अधिसूचना के पहले तक विदेश यात्रा के दौरान खर्चों के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से किए गए भुगतान एलआरएस के दायरे में नहीं आते थे.
पढ़ाई-मेडिकल खर्च को छोड़कर अन्य पर लागू
इससे पहले यात्रा के दौरान विदेश में क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल को LRS के तहत शामिल नहीं किया जाता था. इसमें पहले डेबिट कार्ड, फॉरेक्स कार्ड और बैंक ट्रांसफर शामिल थे. पढ़ाई और मेडिकल खर्च को छोड़कर एलआरएस के तहत विदेश में ट्रैवल करने या फिर दूसरे खर्च पर ये नियम लागू होगा. सरकार के इस फैसले से सबसे ज्यादा झटका बिजनेसमैन और काम के सिलसिले में विदेश जाने वाले लोगों को लगेगा. दरअसल, 20 फीसदी टीसीएस की वजह से विदेश यात्रा पर आने वाला खर्च बढ़ जाएगा.
हटाई गई धारा 7
वित्त मंत्रालय ने आरबीआई के साथ परामर्श के बाद जारी अधिसूचना में फेमा अधिनियम, 2000 की धारा 7 को हटा दिया है. इससे विदेश में अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से किया गया भुगतान भी एलआरएस के दायरे में आ गया है.
मंत्रालय ने दिए सवालों के जवाब
मंत्रालय ने इस बदलाव पर संबंधित प्रश्नों एवं उनके जवाब की एक सूची जारी करते हुए स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की है. उसने कहा कि एलआरएस के तहत डेबिट कार्ड से किए गए भुगतान पहले ही शामिल थे लेकिन क्रेडिट कार्ड से विदेश में किए गए खर्च इस सीमा में नहीं आते थे. इसकी वजह से कई लोग एलआरएस सीमा को पार कर जाते थे.
RBI ने लिखा सरकार को पत्र
विदेश पैसे भेजने की सुविधा देने वाली कंपनियों से मिले आंकड़ों से पता चला कि 2.50 लाख रुपये की मौजूदा एलआरएस सीमा से अधिक खर्च की अनुमति वाले अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड जारी किए जा रहे हैं. मंत्रालय के मुताबिक, आरबीआई ने भी कई बार सरकार को पत्र लिखा था कि विदेश में डेबिट एवं क्रेडिट से किए जाने भुगतान को लेकर अलग बर्ताव खत्म किया जाना चाहिए