नई दिल्ली । विदेश से हीरों की मांग घटने से इस बार निर्यात में 22 फीसदी की कमी आने की संभावना है। बता दें कि प्रमुख उपभोक्ता देशों से कमजोर मांग के कारण देश में तराशे और पॉलिश किए गए हीरों का निर्यात चालू वित्त वर्ष में 22 प्रतिशत घटकर 17.2 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले पांच महीनों में, तराशे और पॉलिश किए गए हीरे के निर्यात में सालाना आधार पर 31 प्रतिशत की तेज गिरावट आई है। इसका कारण निर्यात कम होना और पॉलिश हीरे की अधिक कीमत है। इक्रा ने कहा कि बीते वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही से तराशे और पॉलिश किए गए हीरों के निर्यात में गिरावट का रुख रहा है। इक्रा की उपाध्यक्ष और सेक्टर प्रमुख साक्षी सुनेजा ने एक बयान में कहा कि निर्यात में गिरावट मुख्य रूप से मुद्रास्फीति दबाव के कारण अमेरिका और यूरोप जैसे प्रमुख उपभोक्ता देशों में कमजोर मांग के कारण है। इससे हीरे से खर्च के तरीके में बदलाव हो रहा है।
उन्होंने कहा कि चीन से मांग भी अब तक ठोस रूप से नहीं बढ़ी है। यह वैश्विक मांग का 10-15 प्रतिशत है। इसके अलावा, प्रयोगशाला में विकसित हीरों से प्रतिस्पर्धा से भी निर्यात में कमी आई है। खासकर एक से तीन कैरेट के बड़े आकार के हीरों के मामले में यह देखा जा रहा है। प्रयोगशाला में विकसित हीरे की कीमत प्राकृतिक हीरों की तुलना में काफी कम है। उन्होंने कहा कि भारत के कुल तराशे और पॉलिश किए गए हीरों के निर्यात में प्रयोगशाला में विकसित हीरों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। इक्रा ने कहा कि हाल के महीनों में कुछ नरमी के बावजूद, कच्चे हीरों की कीमतें वित्त वर्ष 2023-24 में ऊंची बनी हुई हैं।
मांग घटने से हीरों के निर्यात में 22 फीसदी की आ सकती है कमी
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