व्यापार : अमेरिकी टैरिफ की घोषणा के बावजूद आरबीआई अगस्त की मौद्रिक नीति समिति बैठक में नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अमेरिका द्वारा नए 25 प्रतिशत टैरिफ के बीच, आरबीआई अपनी आगामी एमपीसी बैठक में रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रख सकती है। यह बैठक 5 से 7 अगस्त के बीच होने वाली है।
प्रतीक्षा करो और देखो की नीति
बैंक ऑफ बड़ौदा के अर्थशास्त्री दीपानविता मजूमदार ने बताया कि आगामी बैठक में आरबीआई द्वारा प्रतीक्षा करो और देखो की नीति अपनाने की संभावना है। उन्होंने कहा कि अनिश्चित वैश्विक स्थिति में, एक सतर्क कदम, किसी भी अन्य जल्दबाजी भरे कदम की तुलना में अधिक नीतिगत निर्णय है।
अमेरिकी टैरिफ से संभावित जोखिम पैदा हो सकते हैं
विशेषज्ञों ने बताया कि अमेरिकी टैरिफ भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए एक संभावित नकारात्मक जोखिम पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका को भारतीय निर्यात के मूल्य में 10 प्रतिशत की गिरावट मान ली जाए, तो जीडीपी पर लगभग 0.2 प्रतिशत का प्रभाव पड़ सकता है।
भारत के पास दक्षिण-पूर्व एशिया में भागीदारी बढ़ाने का अवसर
हालांकि, उन्होंने इसे भारत के लिए एक अवसर के रूप में भी देखा है। उनके अनुसार भारत दक्षिण-पूर्व एशिया में वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में अपनी भागीदारी बढ़ाकर और श्रम-प्रधान क्षेत्रों में निर्यात प्रतिस्पर्धा को मजबूत कर इस स्थिति का लाभ उठा सकता है।
अजय बग्गा की राय अलग
इस बीच, बैंकिंग और बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा की राय अलग है। उनका मानना है कि केंद्रीय बैंक के पास आगामी बैठक में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की गुंजाइश है। बग्गा ने वैश्विक मौद्रिक नीति परिवेश पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जैसा कि अपेक्षित था, अमेरिकी फेड ने दरें स्थिर रखीं। हालांकि फेड अध्यक्ष पॉवेल के प्रेस कॉन्फ्रेंस में आक्रमक रुख के कारण सितंबर में दरों में कटौती की संभावना घटकर 41 प्रतिशत रह गई। बैंक ऑफ जापान ने भी आज सुबह दरें स्थिर रखी हैं।
कुल मिलाकर, विशेषज्ञों की राय अलग-अलग हैं। एमपीसी बैठक के फैसले वैश्विक और घरेलू आर्थिक स्थिति पर निर्भर करते हैं।