सरकार चालू वित्त वर्ष में अपने खर्च में तीन साल में पहली बार कटौती कर सकती है। एक अप्रैल से शुरू हुए चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार के कुल खर्च में भारी कमी आ सकती है। 2022-23 के बजट में 39.45 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान था।सरकार राजकोषीय घाटे पर लगाम लगाने की इच्छुक है क्योंकि यह 4 फीसदी से 5 फीसदी के ऐतिहासिक स्तरों से काफी ऊपर है। 2020-21 में कोविड-19 महामारी के पहले वर्ष के दौरान यह 9.3 फीसदी के रिकॉर्ड तक पहुंच गया था।सरकार का राजकोषीय घाटा अप्रैल-अगस्त के दौरान रिकॉर्ड 5.40 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया, जो बजट अनुमान के 16.6 लाख करोड़ की तुलना में 32.6 फीसदी है। एक साल पहले इसी अवधि में यह 4.68 लाख करोड़ रुपये था जो उस समय बजट अनुमान का 31.1% था।
क्षेत्रों के हिसाब से कटौती पर फैसला दिसंबर तक
सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से पीछे नहीं हटने वाली है। यह पता नहीं चला है कि खर्च में कटौती से किन क्षेत्रों के प्रभावित होने की संभावना है,क्योंकि संशोधित बजट अनुमानों पर चर्चा चल रही है और दिसंबर के अंत तक अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
राजस्व में दो लाख करोड़ तक हो सकती है बढ़त
ईंधन पर कर कटौती, वैश्विक ऊर्जा कीमतों में वृद्धि के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से राजस्व में एक लाख करोड़ से अधिक की कमी आ सकती है। फिर भी,राजस्व 1.5 लाख करोड़ से 2 लाख करोड़ बढ़ सकता है।राजस्व में वृद्धि अब भी प्रत्याशित अतिरिक्त खर्चों को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी।क्योंकि सरकार को 1.5 लाख करोड़ से 1.8 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त खाद्य और उर्वरक सब्सिडी प्रदान करनी होगी।