व्यापार: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री और उप प्रबंद निदेशक गीता गोपीनाथ का मानना है कि निकट भविष्य में डॉलर के प्रभुत्व में बदलाव की संभावना कम है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में वापसी करने वाली गोपीनाथ ने अमेरिकी संस्थानों की मजबूती और वित्तीय बाजारों की गहराई को डॉलर की ताकत का प्रमुख आधार बताया।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में असमानता और शक्ति के असुंतलन में रुचि
आईएमएफ में कार्यकाल के दौरान उन्होंने डॉलर प्रभुत्व पर लगातार शोध किया। आईएमएफ पॉडकास्ट के एक हालिया एपिसोड में जब उनसे पूछा गया कि उन्हें इस विषय में खास दिलचस्पी क्यों रही, तो उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में असमानता और शक्ति का असंतुलन ही उनकी रुचि का कारण रहा।
दुनिया में किसी भी मुद्रा की अहमियत कैसे तय होती है?
गोपीनाथ ने कहा कि दुनिया में किसी भी मुद्रा की अहमियत केवल इस बात पर निर्भर नहीं करती कि कोई देश कितना वैश्विक व्यापार करता है। हालांकि वास्तविकता इससे कोसों दूर है। यह सिर्फ उभरती अर्थव्यवस्थाओं तक सीमित नहीं है कि वे अपनी मुद्राओं का उपयोग कम कर पाती हैं, बल्कि कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राएं भी अपने वैश्विक व्यापार हिस्से के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नजर नहीं आतीं। उनके मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों और संस्थागत मजबूती जैसे कारक ही असल में किसी मुद्रा की वैश्विक प्रभुत्व की स्थिति तय करते हैं। उन्होंने कहा कि इसकी प्रतिलिपि ऑनलाइन उपलब्ध करा दी गई है।
गीता ने आगे कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की बड़ी भूमिका को डॉलर प्रभुत्व के रूप में संदर्भित किया जाता है । उनका मानना है कि इस समय में डॉलर में विषमता और शक्ति का महत्वपूर्ण प्रतिबिंब है।
इंटीग्रेटेड पॉलिसी फ्रेमवर्क बेहद अहम
गोपीनाथ ने बताया कि इस क्षेत्र में उन्होंने 'इंटीग्रेटेड पॉलिसी फ्रेमवर्क' के तहत काम किया है। इसका उद्देश्य यह समझना था कि ज्यादातर विकासशील देशों की मुद्राएं अंतरराष्ट्रीय व्यापार में उपयोग नहीं होतीं और इसका उनकी अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि पूंजी प्रवाह (कैपिटल फ्लो) में उतार-चढ़ाव से इन देशों की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित होती हैं और इसलिए नीतिगत स्तर पर सही प्रतिक्रिया देना बेहद अहम हो जाता है।
डॉलर लंबे समय तक अपना प्रभुत्व बनाए रखेगा
डॉलर प्रभुत्व पर सवाल के जवाब में गोपीनाथ ने साफ कहा कि फिलहाल मुझे इसमें कोई बड़े बदलाव नजर नहीं आते। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया में डॉलर के प्रभुत्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण है इसकी संस्थाओं की मजबूती, इसके वित्तीय बाजारों की गहराई और तरलता, व देश में कानून और व्यवस्था। इसलिए ये सभी विशेषताएं डॉलर के प्रभुत्व के लिए पूरी तरह से सहायक रही हैं, और जब तक ये बनी रहेंगी, डॉलर लंबे समय तक अपनी स्थिति बनाए रखेगा।
गीता ने 2018 में आईएमएफ में पदभार संभाला था
गीता गोपीनाथ ने 2018 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अवकाश लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मुख्य अर्थशास्त्री का पदभार संभाला था। महामारी और अब तक के सबसे जटिल भू-राजनीतिक रूप से उत्पन्न आर्थिक संकटों से निपटने के बाद, उन्हें संस्थान का प्रथम उप-प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया था।