व्यापार: जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में कर व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए। हानिकारक वस्तुओं को छोड़कर सभी उत्पादों को 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दर में लाया गया है। साथ ही कई आवश्यक वस्तुओं पर कर को शून्य करने का निर्णय लिया गया है। ये बदलाव 22 सितंबर यानी नवरात्र के पहले दिन से लागू हो गए हैं। इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि क्या इन बदलावों का सोने-चांदी के दामों पर असर पड़ेगा।
सोने-चांदी की कीमतों पर कोई असर नहीं
बता दें कि सोना और चांदी पर लगने वाला जीएसटी अब भी तीन प्रतिशत पर बरकरार है। विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी के नए दो स्लैब ढांचे का असर इन कीमती धातुओं पर नहीं पड़ेगा। इन्हें अलग श्रेणी में रखा जाता है, जिन पर पहले से ही तीन प्रतिशत की विशेष दर लागू है।
हीरा एवं आभूषण क्षेत्र को राहत की संभावना
हालांकि रत्न व आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद का कहना है कि जीएसटी सुधारों से हीरा व आभूषण क्षेत्र को काफी राहत मिली है। बयान में कहा गया है कि सरकार ने डायमंड इम्प्रेस्ट ऑथराइजेशन स्कीम (डीआईएएस) के तहत 25 सेंट तक के प्राकृतिक कटे और पॉलिश किए गए हीरों के आयात को आईजीएसटी से छूट देने के फैसला किया है। इस पर पहले 18 प्रतिशत आईजीएसटी लागू था। इस कदम से कार्यशील पूंजी का दबाव कम होगा और छोटे हीरा प्रसंस्करण में लगे निर्माताओं और निर्यातकों को मदद मिलेगी।
आभूषण बक्सों पर जीएसटी घटाकर पांच प्रतिशत किया गया
इसके अलावा, ज्वेलरी बक्सों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के लिए लागत कम हो जाएगी। वहीं पैकेजिंग और उपहार देना उपभोक्ताओं के लिए अधिक किफायती हो जाएगा। इससे व्यवसाय और खरीदार दोनों को लाभ होगा।
घरेलू मांग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद
जीजेईपीसी के अध्यक्ष किरीट भंसाली ने कहा कि इन उपायों से घरेलू मांग को बढ़ावा मिलेगा और हमारी निर्यात आपूर्ति श्रृंखला को सहारा मिलेगा। यह वैश्विक चुनौतियों के कारण दबाव में है। उन्होंने कहा कि हीरा एवं आभूषण क्षेत्र यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि ज्वेलरी बक्सों की कम लागत सहित लाभ पारदर्शी तरीके से भारतीय उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाए। इससे विश्वास मजबूत हो और उद्योग की दीर्घकालिक वृद्धि को समर्थन मिले।
ये सुधार, हस्तशिल्प, चमड़े के सामान और पैकेजिंग जैसे संबद्ध क्षेत्रों में जीएसटी कटौती के साथ मिलकर भारत के हीरे और आभूषण पारिस्थितिकी तंत्र को और मजबूत करेंगे। परिचालन लागत को कम करके, सामर्थ्य को बढ़ाकर, व वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर, वे हीरा प्रसंस्करण, आभूषण डिजाइन और निर्यात के लिए एक अग्रणी केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करते हैं।