व्यापक जीएसटी सुधार का असर: हर उद्योग और क्षेत्र पर पड़ेगा अलग असर

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व्यापार : स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिवाली से पहले जीएसटी के ढांचे में बड़े सुधारों का एलान किया। बाजार विशेषज्ञ का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार अब ऐतिहासिक एसएंडपी रेटिंग अपग्रेड करने, आगामी जीएसटी सुधारों, ट्रंप-पुतिन के बीच बातचीत से संभावित भू-राजनीतिक स्थिरता के कारण सकारात्मक दिशा में अग्रसर है। विशेषज्ञ कहते हैं कि जीएसटी में व्यापक सुधार केवल इसे आसान नहीं बनाएगा बल्कि यह कदम ऑटो, स्टेपल, टिकाऊ वस्तुओं, सीमेंट, वित्तीय और उपभोक्ता सेवाओं के लिए मांग समीकरणों को सीधे बदल सकता है। ये वो क्षेत्र हैं जो वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में कंपनियों की आय में सुधार के चक्र का नेतृत्व कर सकते हैं।

एसएंडपी रेटिंग अपग्रेड व जीएसटी सुधार से बाजार को मिलेगी गति

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्राइम रिसर्च प्रमुख देवर्ष वकील कहते हैं, पिछले साल जुलाई 2024 से भारत के बेंचमार्क सूचकांकों ने वैश्विक सूचकांकों की तुलना में कम प्रदर्शन किया है, सालान आधार पर (जुलाई 2024-जुलाई 2025) 0.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है, जबकि अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजारों ने इस अवधि में पर्याप्त लाभ दर्ज किया है। शेयर बाजारों के कम प्रदर्शन के मुख्य कारण बढ़ा हुआ मूल्यांकन, कमजोर आय, विदेशी संस्थागत निवेशकों का पूंजी निकालना, अमेरिकी बॉन्ड पर बढ़ता प्रतिफल और भारत में आर्थिक मंदी को लेकर बढ़ती चिंता रही। लेकिन बाजार अब ऐतिहासिक एसएंडपी रेटिंग अपग्रेड करने, आगामी जीएसटी सुधारों, ट्रंप-पुतिन के बीच बातचीत से संभावित भू-राजनीतिक स्थिरता के कारण सकारात्मक गति की ओर तेजी से अग्रसर है।  18 साल बाद एसएंडपी रेटिंग अपग्रेड करने से भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी निवेश बढ़ सकता है, दिवाली तक जीएसटी 2.0 सुधारों से कर संरचनाएं और सुव्यवस्थित होंगी और उपभोगता संचालित क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा। वकील कहते हैं भू-राजनीतिक घटनाक्रम, विशेष रूप से ट्रंप-पुतिन वार्ता के बाद रूस और यू्क्रेन के बीच संभावित युद्ध विराम वैश्विक जोखिम को कम कर सकता है।

बाजार को ऊपर ले जाने में जीएसटी से जुड़े बदलावों की होगी अहम भूमिका

जियोजित इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेशक रणनीतिकार, वीके विजयकुमार बताते हैं, बाजार के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं, जो बाजार को ऊपर ले जाने के लिए सहायक हो सकती हैं। दिवाली तक जीएसटी में अगले बड़े सुधारों की प्रधानमंत्री द्वारा घोषणा एक बड़ी सकारात्मक बात है। उम्मीद है कि अधिकतर वस्तुएं और सेवाएं 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के कर स्लैब में होंगी। ऑटो और सीमेंट जैसे सेक्टर जो मौजूदा समय में 28 प्रतिशत के कर स्लैब में हैं, को लाभ मिलने की उम्मीद है। बीमा कंपनियों को भी जीएसटी संशोधन से लाभ मिलने की उम्मीद है।  एसएंडपी 500 द्वारा भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में सुधार एक बड़ी सकरत्मक बात है। वहीं कुछ चिंताएं भी लगी हुई हैं, जिसमें भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता 27 अगस्त की समय सीमा से पहले होने की संभावना नहीं है। भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ की ट्रंप बाजार को परेशान कर रही है।

ऑटो, सीमेंट, वित्त व उपभोक्ता सेवाओं की मांग में हो सकता है इजाफा

रिसर्च कंपनी मोतीलाल ओसवाल के अनुसार  सरकार द्वारा घोषित 2.0 के जीएसटी सुधारों में उपभोग की गतिशीलता को फिर से शुरू होने और कई क्षेत्रों को लाभ मिलने की संभावना है। सुधार केवल एक व्यापक बढ़ावा नहीं है। वे ऑटो स्टेपल, टिकाऊ वस्तुओं, सीमेंट, वित्तीय और उपभोक्ता सेवाओं के लिए मांग समीकरणों को सीधे बदल सकता है। यह क्षेत्र मिलकर वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में आय सुधार चक्र को नेतृत्व कर सकते हैं।

मोतीलाल ओसवाल के विशेषज्ञ के अनुसार प्रमुख क्षेत्र की कंपनियों को जीएसटी सुधार से होने से फायदा होगा और वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में बड़े लाभ मिल सकते हैं।  इसमें लग्जरी और हानिकारक वस्तुओं को छोड़कर ज्यादातर वस्तुओं के लिए मौजूदा चार स्लैब की तुलनामें दो स्लैब में दरों को युक्तिसंग बनाया जा सकता है। इसके अलावा व्यापार में आसानी बढा़ने और व्यापक अनुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रक्रिया को सरल बनाने तथा सुव्यवस्थित उपायों का भी प्रस्ताव है। केंद्र सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि अधिकांश वस्तुओं को जो कि चार स्लैब में हैं उनकों दो स्लैब में शामिल किया जाए। वर्तमान समय में 12 प्रतिशत के स्लैब में लगभग 99 प्रतिशत वस्तुओं को 5 प्रतिशत के स्लैब में जाने की उम्मीद है। इससे रिटेल कीमतों 4 से 5 प्रतिशत की कमी आएंगी। 28 प्रतिशत के कर स्लैब में 90 प्रतिशत वस्तुओं को 18 प्रतिशत के कर स्लैब में स्थानांतरिक किया जाएगा। इससे उच्च मूल्य वाली उपभोग वस्तुओं की कीमतें कम होगी और परिवारों का बड़ा हिस्सा सेविंग होने की उम्मीद है।

किस सेक्टर पर क्या असर पड़ेगा?

ऑटो सेक्टर : कार और वाणिज्यिक वाहन सस्ते होंगे

यात्री वाहन और कर्मशियल वाहन , जो वर्तमन में 28 प्रतिशत के स्लैब में हैं, वे 18 प्रतिशत के स्लैब में जाने की संभावना है। इसकी वजह से इस सेक्टर बड़ा उछाल आने की उम्मीद है। इनसे जुड़ी कंपनियों टाटा मोटर्स, मारुति, अशोक लीलैंड कम प्रभावी कीमतों और अधिक बिक्री कंपनियों को मुनाफा होगा।

बैंक और एनबीएफसी : बैंकों के रिटेल ऋण में आएगी तेजी

घरेलू उपभोग में वृद्धि के साथ वित्तपोषण की मांग बढ़ेगी, जिसमें सभी बड़े बैंकों में रिटेल ऋण में वृद्धि तेजी देखी जा सकती है, जबकि एनबीएफसी में उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं पर कम ईएमआई का लाभ मिलेगा।

सीमेंट क्षेत्र: बुनियादी ढांचा और आवास निर्माण को मिलेगा बढ़ावा

जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने से सीमेंट की कीमतों में लगभग 7 से 8 प्रतिशत की कमी आएगी। इससे बुनियादी ढांचे और आवास क्षेत्र की मांग में सुधार से लाभा मिलेगा।

उपभोक्ता वस्तुएं : कम लागत और अधिक मांग की उम्मीद

कच्चे माल कम स्लैब में स्थानांतरित हो सकते हैं, जिससे इनपुट लागत कम होगी, जिसकी वजह से उत्पाद सस्ते होंग और आवश्यक वस्तुओं की खपत को बढ़ावा मिलेगा। इसकी वजह से एफएमसीजी कंपनियों को लाभ मिलने की संभावना है।

उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं और ईएमएस: एसी और बिजली उपकरण सस्ते होंगे

एयर कंडीशनर और चुनिंदा टिकाऊ वस्तुओं पर जीएसटी 28 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत हो सकता है, जिसमें मांग बढ़ेगी। इससे कंज्यूमर डयूरेबल कंपनियों की बिक्री में बढ़ोतरी हो सकती है।  

होटल : 7,500 से कम के कमरे सस्ते होंगे

मध्यम कैटेगरी के लिए जीएसटी 12 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत हो सकता है, जिससे छोटे और मध्यम आकार के होटलस को लाभ मिलेगा।

बीमा : वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर संभावित कर राहत

अगर वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया जाता है या माफ कर दिया जाता है, तो बीमा कंपनियों को इसका लाभ मिलेगा।  

लॉजिस्टिक्स और क्विक कॉमर्स: बिक्री में वृद्धि

टिकाऊ वस्तुओं, स्टेपल और विवेकाधीन वस्तुओं की बढ़ती मांग डिलीवरी जैसे लॉजिस्टिक्स कंपनियों को मदद करेगी। इससे क्विक कॉमर्स डिलीवरी प्लेटफॉर्म घरेलू खपत की वृद्धि से उनका फायदा होगा।

रिटेल : संगठित कंपनियों को फायदा

फुटवियर और अन्य बड़े पैमाने के उत्पादों के निचले स्लैब में जाने से असंगठित क्षेत्र के कर का अंतर कम होना चाहिए, जिसकी वजह से संगठित रिटेल कंपनियों को भी फायदा होगा।

जीएसटी 2.0 सुधार से कुछ क्षेत्रों को नुकसान होगा

जानकार कहते हैं, लग्जरी और हानिकार वस्तुओं पर जीएसटी की स्लैब को बढ़ाया जा सकता है। इन्हें 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक के स्लैब में लाया जा सकता है। ऐसे में लग्जरी होटल्स, कारें, घड़ियां, डिजाइनर कपड़े और वस्तुओं पर अधिक स्लैब में रखा जा सकता है। जिसकी वजह से इन सेक्टर की कंपनियों पर नकारात्मक असर देखा जा सकता है।