भारत सरकार ने चीन, ताइवान और रूस से आने वाले एल्युमिनियम फॉयल, प्रेटिलाक्लोर और एसीटोनाइट्राइल पर पांच साल के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगा दी है. यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि इन देशों से सस्ते दामों पर कच्चा माल आयात होने से भारत के उद्योगों को नुकसान हो रहा था. एल्युमिनियम फॉयल (5.5 से 80 माइक्रोन मोटाई) पर पहले छह महीने का टैक्स था. यह अब चीन से आयात पर पांच साल तक लागू रहेगा. इस फॉयल का इस्तेमाल पैकेजिंग और खाना बनाने में होता है. सस्ते आयात की वजह से भारतीय कंपनियों को नुकसान हो रहा था
प्रेटिलाक्लोर पर टैक्स
प्रेटिलाक्लोर एक दवा है. ये चावल और धान की खेती में खरपतवार को रोकने के लिए इस्तेमाल होती है. चीन से आने वाले प्रेटिलाक्लोर पर भी पांच साल का एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाया गया है. इससे भारतीय किसानों और कंपनियों को मदद मिलेगी.
एसीटोनाइट्राइल पर टैक्स
एसीटोनाइट्राइल एक रसायन है. इसका उपयोग दवाइयां और कीटनाशक बनाने में होता है. चीन, ताइवान और रूस से आने वाले एसीटोनाइट्राइल पर भी पांच साल का एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगेगा. यह कदम भारतीय उद्योगों को सस्ते आयात से बचाने के लिए उठाया गया है.
क्यों लगाया गया टैक्स?
यह टैक्स डायरेक्टरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (DGTR) की सलाह पर लगाया गया. DGTR ने पाया कि इन देशों से सस्ते दामों पर सामान बेचा जा रहा था. इससे भारतीय उद्योगों को बड़ा नुकसान हुआ. इस टैक्स से भारतीय कंपनियों को राहत मिलेगी और वे बेहतर तरीके से काम कर सकेंगी. यह टैक्स भारतीय उद्योगों को सस्ते आयात से बचाएगा. इससे स्थानीय कंपनियां मजबूत होंगी, रोजगार बढ़ेंगे. सरकार का यह कदम देश के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है.
क्या होता है एंटी-डंपिंग ड्यूटी
डंपिंग टैक्स को एंटी-डंपिंग ड्यूटी भी कहते हैं. यह एक तरह का टैक्स है. सरकार इसे किसी दूसरे देश से आयात होने वाले सामान पर लगाती है. यह टैक्स तब लगाया जाता है जब कोई देश अपने सामान को बहुत सस्ते दामों पर दूसरे देश में बेचता है. इससे उस देश की स्थानीय कंपनियों को नुकसान होता है.