LIC : जल्द ही देश की चार सरकारी सामान्य बीमा कंपनियों का भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में विलय हो सकता है। इन कंपनियों में द ओरिएंटल इंश्योरेंस, नेशनल इंश्योरेंस, न्यू इंडिया अश्योरेंस व यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस शामिल हैं। केंद्र ने बीमा अधिनियम 1938 और बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव किया है। ये प्रस्तावित संशोधन हैं- जीवन और गैर-जीवन बीमा पॉलिसियों को बेचने वाले बीमाकर्ता को समग्र बीमाकर्ता के रूप में अनुमति देना, आवश्यक न्यूनतम पूंजी निर्धारित करने और वैधानिक सीमाओं को समाप्त करने के लिए बीमा नियामक को सक्षम बनाना; निवेश मानदंडों में परिवर्तन और कैपेटिव सहित विभिन्न प्रकार के बीमाकर्ताओं को अनुमति देना।
क्या है प्लान
समाचार एजेंसी जानकारों के हवाले से बताया गया है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले घोषणा की थी कि रणनीतिक क्षेत्रों के मामले में सार्वजनिक क्षेत्र की चार इकाइयां हो सकती हैं और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों के मामले में केवल एक सरकारी स्वामित्व वाली बीमा कंपनी होगी। एक अधिकारी के हवाले से आईएएनएस ने कहा है कि उस घोषणा को देखते हुए सरकार अपनी चार गैर-जीवन बीमा कंपनियों का एलआईसी में विलय कर सकती है। चार सरकारी स्वामित्व वाली सामान्य बीमा कंपनियों द ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के विलय की मांग लंबे समय से की जा रही है।
जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया
केंद्र सरकार अन्य बीमा कंपनियों जैसे जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (GIC Re), ECGC लिमिटेड और एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड की भी मालिक है। GIC Re राष्ट्रीय पुनर्बीमाकर्ता है, जबकि ECGC कृषि और विशिष्ट बीमा उत्पाद बेचने वाली कंपनी। इन चारों इंश्योरेंस कंपनियों के कर्मचारी भी इस विचार समर्थन करते हैं। इस बारे में जनरल इंश्योरेंस एम्प्लॉइज ऑल इंडिया एसोसिएशन (जीआईईएआईए) के महासचिव त्रिलोक सिंह ने आईएएनएस से कहा है कि हम सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों को मजबूत करने वाले किसी भी कदम का स्वागत करते हैं।
आपको बता दें कि कुछ साल पहले, सरकार ने घोषणा की थी कि वह द ओरिएंटल इंश्योरेंस, नेशनल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया को एक कंपनी में मिला देगी।
LIC में भी अब निजी क्षेत्र के लोगों को चेयरमैन बनने का मौका मिल सकता है। इसके शेयरों में गिरावट से सरकार ऐसी योजना बना रही है। LIC इस समय 41 लाख करोड़ की संपत्तियों का प्रबंधन करती है। इसके 66 साल के इतिहास में पहली बार होगा, जब निजी क्षेत्र का कोई व्यक्ति इसका प्रमुख बनेगा। अभी तक कंपनी के ही एमडी को इसका चेयरमैन बनाया जाता रहा है। वर्तमान चेयरमैन एमआर कुमार पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जो सीधे जोनल मैनेजर से चेयरमैन बने थे। निजी क्षेत्र की नियुक्ति के लिए पिछले साल ही एलआईसी कानून में बदलाव हुआ था, जो मार्च से लागू किया जाएगा। इसके तहत, चेयरमैन के पद को दो भाग में बांटा जाएगा। सरकार इस पर भी विचार कर रही थी कि क्या कानून में और बदलाव की जरूरत है। साथ ही वह निजी क्षेत्र की तरह भारी-भरकम वेतन दे सकती है।