Medicine : महंगाई से परेशान आम लोगों को एक और झटका लगने वाला है। पिछले कई महीनों से महंगाई की आग से आम आदमी झुलस रहा है। दरअसल अप्रैल से जरूरी दवाओं के दाम बढ़ने वाले हैं। अब जरूरी दवाओं के लिए लोगों को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं। एक अप्रैल से पेनकिलर्स से लेकर एंटीबायोटिक समेत कई जरूरी दवाओं के दाम बढ़ने (Essential Medicines Price Hike) वाले हैं। सरकार एनुअल होलसेल प्राइज इंडेक्स (WPI) में बदलाव के अनुरूप दवा कंपनियों को बढ़ोतरी की अनुमति देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
देश में महंगाई लगातार बढ़ रही है। दवा मूल्य नियामक नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने सोमवार को कहा कि सरकार द्वारा अधिसूचित WPI में वार्षिक परिवर्तन 2022 के आधार पर दाम बढ़ाए जा सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, बढ़ती महंगाई को देखते हुए फार्मा इंडस्ट्री दवाओं की कीमत बढ़ाए जाने की मांग कर रही थी।
12% से ज्यादा बढ़ सकते हैं दाम
महंगाई से जूझ रहे आम लोगों के लिए यह बड़ा झटका है, क्योंकि दवा मूल्य नियामक नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने सोमवार को कहा कि सरकार द्वारा अधिसूचित एनुअल होलसेल प्राइज इंडेक्स (WPI) में वार्षिक परिवर्तन 2022 के आधार पर दाम 12.12% तक बढ़ाए जा सकते हैं। बता दें कि फार्मा कंपनियां काफी समय से बढ़ती महंगाई को देखते हुए दवाओं की कीमत बढ़ाने की मांग कर रही हैं।यह लगातार दूसरा वर्ष है जब दवाओं के दाम बढ़ जाएंगे। शेड्यूल ड्रग्स की कीमतों में लगभग 10 फीसदी तक इजाफा किया जा सकता है।
बता दें कि शेड्यूल ड्रग्स वे दवाएं होती हैं जिनकी कीमतों पर नियंत्रण होता है। नियमों के मुताबिक शेड्यूल दवाओं के दाम बिना सरकार की अनुमति के नहीं बढ़ाए जा सकते। बता दें कि WPI में वार्षिक परिवर्तन के कारण कीमतों में वृद्धि मामूली रही है, जो पिछले कुछ वर्षों में 1% और 2% के बीच रही है। सूत्रों ने कहा कि एनपीपीए अगले कुछ दिनों में निर्धारित फॉर्मूलेशन की अधिकतम कीमतों को अधिसूचित करेगा।
900 दवाओं की कीमतों में हो सकता है इजाफा
पेनकिलर्स, ऐंटी-इन्फेक्टिव्स, ऐंटीबायोटिक्स और दिल की दवाओं समेत करीब 900 दवाओं की कीमत में 12% से ज्यादा का इजाफा हो सकता है। यह लगातार दूसरा साल है, जब गैर-अनुसूचित दवाओं (Non-Scheduled Drugs) की कीमतों में बढ़ोतरी की अनुमत वृद्धि से अधिक है। बता दें कि शेड्यूल्ड ड्रग्स वो दवाएं होती हैं, जिनकी कीमतों पर नियंत्रण होता है। जबकि बाकी अन्य दवाएं नॉन-शेड्यूल्ड ड्रग्स की कैटेगरी में आती हैं और इनकी कीमतों में 10 फीसदी तक इजाफा किया जा सकता है। हालांकि, नियमों के अनुसार नॉन-शेड्यूल दवाओं के दाम बिना सरकार की अनुमति के नहीं बढ़ाए जा सकते।
इस आधार पर बढ़ाई जाती हैं कीमतें
दवा मूल्य नियामक नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) को हर साल 1 अप्रैल या उससे पहले पिछले कैलेंडर वर्ष के एनुअल होलसेल प्राइज इंडेक्स (WPI) के अनुसार अनुसूचित फॉर्मूलेशन की अधिकतम कीमत को संशोधित करने की अनुमति है। इसको लेकर ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013 के क्लॉज 16 में नियम बना हुआ है। इसी आधार पर एनपीपीए हर साल दवाओं की कीमतों में संशोधन करता है और नई कीमतें 1 अप्रैल से लागू होती हैं।
उद्योग को मिलेगी राहत
दवाओं के दाम में बढ़ोतरी से इस उद्योग से जुड़े लोगों को राहत जरूरी मिलेगी। पिछले कुछ समय से कच्चे माल जिसमें दवा बनाने का सामान, माल-ढुलाई और प्लास्टिक व पैकेजिंग के सामान में इजाफा हुआ है। इससे लागत पर असर पड़ा है। दवाओं के दाम बढ़ने से इनकों राहत मिलेगी।