देश की सबसे वैल्यूएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके पार्टनर्स से भारत सरकार को 2.81 अरब डॉलर (करीब 24,490 करोड़ रुपये) वसूलने हैं. नेचुरल गैस एक्सट्रैशन से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सरकार के हक में सुनाया है. अब सरकार ने भी मुकेश अंबानी से पाई-पाई वसूलने की तैयारी कर ली है. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी की ओर से इस बारे में एक बड़ा बयान दिया गया है.
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि उनका मंत्रालय रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके पार्टनर्स से 2.81 अरब डॉलर की डिमांड को हासिल करने की अंत तक कोशिश करेगा. उनके इस बयान को सरकार की ओर से इस मामले में इसे एक बड़ी प्रतिक्रिया माना जा रहा है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल ये मामला रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसकी पार्टनर फर्म्स के नेचुरल गैस एक्ट्रैक्शन से जुड़ा है. सरकार का दावा है कि रिलायंस और उसकी पार्टनर फर्म्स ने ऐसे गैस फील्ड से भी नेचुरल गैस निकाली, जिनके इस्तेमाल का उन्हें कोई अधिकार नहीं था. इस मामले में भारत सरकार ने रिलायंस से 1.55 अरब डॉलर की राशि चुकाने का दावा किया. रिलायंस इस मामले को एक इंटरनेशनल आर्बिटरी कोर्ट ले गई, जहां जुलाई 2018 में फैसला उसके पक्ष में आया. सरकार के 1.55 अरब डॉलर के दावे को खारिज कर दिया गया.
इसके बाद सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. पिछले महीने 14 तारीख को दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार के हक में फैसला सुनाया. इसके बाद ही सरकार की ओर से 2.81 अरब डॉलर का डिमांड नोटिस निकाला गया है. रिलांयस की ओर से 3 मार्च 2025 को ये नोटिस मिलने की पुष्टि की गइ है.
क्या बोले पेट्रोलियम मंत्री?
खबर के मुताबिक पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि ‘ गैस माइग्रेशन’ (एक ब्लॉक से दूसरे ब्लॉक में जाने) से जुड़े इस विवाद पर अदालत का फैसला सरकार के अधिकार स्पष्ट रूप से साबित करता है.
दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान जब हरदीप सिंह पुरी से 2.81 अरब डॉलर की वसूली को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ”मैं आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि अदालत का बिल्कुल स्पष्ट फैसला है. हमने पहले ही 2.81 अरब डॉलर की डिमांड का आवेदन कर दिया है. हम इस अधिकार को अंत तक पाने की कोशिश करेंगे. बेशक, फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करना हर किसी का अधिकार है.”
ये मामला कृष्णा-गोदावरी बेसिन में स्थित KG-D6 ब्लॉक से जुड़ा है. इस एरिया में रिलायंस के पास नेचुरल गैस एक्सट्रैक्शन का अधिकार है, हालांकि सरकार की कंपनी ओनएनजीसी का दावा है कि रिलायंस ने इसी एरिया में मौजूद KG-DWN-98/2 ब्लॉक से गैस को ट्रांसफर किया है. KG-DWN-98/2 ब्लॉक ओएनजीसी को अलॉट किया गया था.