व्यापार: टैरिफ अनिश्चितताओं के बीच भारत के उभरते इक्विटी परिदृश्य में तेजी से बदलाव हो रहा है। इसमें घरेलू निवेशक म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की एक रिपोर्ट में यह जानकारी मिली है। रिपोर्ट के अनुसार म्यूचुअल फंड बाजार में ऐसी वृद्धि पिछली बार 2023 में देखने को मिली थी।
घरेलू म्यूचुअल फंड स्वामित्व में रिकॉर्ड तेजी
इसमें कहा गया कि घरेलू म्यूचुअल फंड ने वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में कुल बाजार पूंजीकरण के सूचीबद्ध कंपनियों में रिकॉर्ड 10.6 प्रतिशत का स्वामित्व प्राप्त किया। इसमें लगातार दूसरी तिमाही में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पर उनकी बढ़त बन गई है। यह वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच लगातार घरेलू खरीदारी को दर्शाता है और अब घरेलू म्यूचुअल फंड के पास फ्लोटिंग में एफपीआई की तुलना में बड़ी हिस्सेदारी है। एसआईपी का बढ़ता चलन घरेलू निवेशकों की होल्डिंग में वृद्धि के साथ मजबूत हुआ है। यह रिटेल संचालित बाजार के लचीलेपन पर जोर देता है।
जुलाई 2025 ने म्यूचुअल फंड क्षेत्र के लिए कई रिकॉर्ड स्थापित किए
- सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) ने 28,000 करोड़ रुपये को पार कर लिया,
- एनएफओ ने 30,000 करोड़ रुपये जुटाए,
- इक्विटी प्रवाह 42,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया,
- कुल एयूएम (इक्विटी और डेट) 75 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया
एफपीआई पिछले 13 साल के नीचले स्तर पर
एनएसई पर सूचीबद्ध फर्मों में कुल एफपीआई का स्वामित्व घटकर 17.3 प्रतिशत रह गया। यह दिसंबर 2011 के बाद से सबसे कम है। इसमें निकासी और लॉर्ज कैप (निफ्टी-50 में 24.5 प्रतिशत छह तिमाहियों का उच्चतम स्तर) के प्रति अधिक रुचि दिखाई दी है। शुद्ध एफपीआई इंफ्लो 2025 में 95,641 करोड़ रुपये निगेटिव रहा। यह अमेरिकी टैरिफ वृद्धि और वैश्विक अस्थिरता के बीच एफपीआई के सर्तक रहने के संकेत देता है।
प्रमोटर की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत तक घटी
एनएसई द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार एनएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों में प्रमोटर की हिस्सेदारी लगातार चौथी तिमाही में घटकर 50 प्रतिशत रह गई है। यह रुझान लंबे समय तक रहने का अनुमान है। भारतीय प्रमोटरों के पास 42.8 प्रतिशत हिस्सेदारी है। वहीं विदेशी प्रमोटरों के पास 7.2 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यह बढ़ी हुई सार्वजनिक हिस्सेदारी और बाजार की गहराई को दर्शाता है।
घरेलू इक्विटी होल्डिंग उच्च स्तर पर
रिपोर्ट के अनुसार प्रत्यक्ष व्यक्तिगत हिस्सेदारी में 9.6 प्रतिशत वृद्धि हुई। इसमें कुल घरेलू होल्डिंग (म्यूचुअल फंड के जरिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) रिकॉर्ड 18.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इसमें घरेलू इक्विटी संपत्ति बढ़कर लगभग 84.7 लाख रुपये हो गई। यह वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में लगभग 9 करोड़ रुपये थी, जो संपत्ति सृजन में इक्विटी की भूमिका को दिखाता है।
टैरिफ की बढ़ोतरी
रूसी तेल के आयात पर अमेरिका ने 50 प्रतिशत टैरिफ बढ़ाया है, जिससे व्यापार और आयात पर असर पड़ा। इसकी वजह से 60 प्रतिशत अमेरिकी निर्यात (कुल निर्यात का लगभग 10 प्रतिशत या सकल घरेलू उत्पाद का 2.2 प्रतिशत ) पर प्रभाव पड़ता है। इससे कपड़ा, और जेम्स एंड ज्वेलरी क्षेत्रों में एमएसएमई पर दबाव पड़ सकता है।
झटकों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था का लचीलापन
आईएमएफ ने भारत की वित्त वर्ष 2026 की वृद्धि दर को 6.4 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, साथ ही जीएसटी लगभग 2 लाख करोड़ रुपये, मुद्रास्फीति 2.1 प्रतिशत (छह साल का निचला स्तर), विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 700 अरब डॉलर और अनुकूल और कृषि दृष्टिकोण और आरबीआई द्वारा रेपो रेट 6.5 प्रतिशत बनाए रखना, देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा कदम है।
निवेशकों का रुझान
कमजोर आय और एफपीआई की निकासी के बीच निफ्टी जुलाई में 2.9 प्रतिशत गिर गया। यह उभरते हुए बाजारों के समकक्षों साल दर साल 17.2 प्रतिशत ऊपर से कमतर प्रदर्शन कर रहा है। वित्त वर्ष 26 में निवेशकों की भागीदारी मासिक आधार पर 11 प्रतिशत घटकर औसतन लगभग 1.2 करोड़ रुपये रह गई। इसमें छोटे लेनदेन की वजह से 6.1 लाख निवेशक कम हुए है। जुलाई में 1.7 लाख करोड़ रुपये का फंड जुटाया गया। इसमें 13 आईपीओ ने 24,559 करोड़ रुपये जुटाए हैं।